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आखिरकार लम्बी जद्दोजहद के बाद महर्षी दयाननन्द सरस्वती को यू जी सी के पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया जायेगा। सूत्रो के अनुसार केन्द्रिय शिक्षा राज्य मंन्त्री शुभाष सरकार ने इस आशय की जानकारी दी है । महर्षी दयानन्द समकालीन दार्शनिकों में शिखर पुरुषों मे शामिल थें । उन्होंने वेद के त्रेंदवाद के सिंद्धान्त को प्रमाण सहित दुनियाँ के सामने प्रस्तुत किया था । आजादी के प्रथम स्वप्नदृष्ठा महर्षी दयानन्द को यू जी सी से हटाने की भा ज पा सरकार की साजिशों के खिलाफ आर्य समाज मे उबाल आ गया था । उनके खिलाफ सार्वदेशिक आर्यप्रतिनिधि सभा के प्रधान स्वामी आर्यवेश के नेन्तृत्व मे देश भर से आये आर्य प्रतिनिधियों ने प्रदर्शन कर आधुनिक भारत के स्वप्नदृष्ठा महर्षी दयानन्द को यू जी सी की दार्शनिकों की सूची सेे हटाने की तीब्र निन्दा की थी ।यू जी सी पाठ्यक्रम में दयानन्द पहले से ही शामिल थे इस बार नये पाठ्यक्रम मे महर्षी दयानन्द के शिष्य अरविन्द को इसमे यथावत सम्मान दिया गया था उन्होने तत्कालिक केन्द्रीय शिक्षा मन्त्री रमेश पोखरियाल निशंक को खरी खरी सुनाते हुवे राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित किया था । निशंक पहले भी आर्य समाज मे बिवादित रहे है ।उन्होंने आर्य समाज द्वारा स्थापित डी ए बी कालेज देहरादून मे विवेकान्द की मूर्ति लगवा दी थी। जिसका आर्य ने समाज ने बिरोध किया था । अब चूंकि आर्य समाज ने जागरूकता का परिचय दिया महर्षि दयानन्द को दार्शनिको के पाठ्यक्रम में पुन: शामिल करने की मांग की ।तब यू जी सी ने वेद के आधार पर उनके द्वारा प्रतिपादित त्रेतवाद यानि ईश्वर प्रकृति व जीव की सनातन सत्ता का सिद्धान्त के पाठ्यर्रम मे मान्यता देने की बात कही है । इस सिद्धान्त के अनुसार ईश्वर निराकार होंने से अपरिवर्तनीय है किन्तु जीव व प्रकृति साकार होने के कारण रूपान्तरण तो करते है किन्तु बीज रूप मे हमेशा बिद्यमान रहते है । इसी सिद्धान्त को अब यू जी सी दर्शन शास्त्र मे पढाये गी ऐसा केन्द्र सरकार के शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष सरकार ने सांसद सुमेधानन्द सरस्वती को अवगत कराया है ।