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अल्मोड़ा जेल सुर्खियों मे है ।कभी शान्तिप्रिय माहौल के लिये जाने जाने वाली जेल इन दिनें अपराध के सुसंगठित स्थल के रूप मे अपनी पहचान बना रही है । एस टी एफ इस संगठित गिरोह के सदस्यों का पता खगालने मे लगी है । सामान्यत: हम सिनेमा के कथानकों मे देखते है कि अपराधियों के लिये जेल कोई यातना गृह नही होते, अपराधियों के सुरक्षित ठिकाने हो जाते है । राज्य बनने के बाद यह पहला अवसर है जब अल्मोडा जेल अपराधियोंं का अड्डा बन गई हैं । यदि यही सब होता रहा तब अपराध करने से भला कौन डरने वाला है ?। आजीवन सजा काट रहा महिपाल सिंह जेल से ही अपने सहयोगियों के माध्यम से ना केवल नशे का कारोबार कर रहा है ,अपितु रंगदारी वसूलने का आरोपी भी बताया जा रहा है । जनपद के वर्तमान एस एस पी पंकज भट्ट अपनी तैनाती की तिथि से ही नशे के खिलाफ अभियान चला रहे है ।सूत्रो से पता चला है कि नशे के प्रमुख कोरियर के रूप में कम उम्र की बालिकाये व बच्चो को शामिल किया जा रहा है । बाल सुधार ग्रह ना होने से इन बच्चों के पुनर्वास की समस्या प्रमुख हो जाती है । स्पष्ठ है कि यहीं बच्चे भविष्य के बडें अपराधी बन जाइंगे नशेड़ी बच्चों के मां -बार अत्यधिक परेशान है उन्हे समझ ही नही आ रहा है कि बच्चें को कैसे रोका जाय । जेलों का मकसद कैदी या बंदी को सुधारना होता है। ताकि वह अपने अपराधों की सजा भुगतने के बाद जब जेल से छूटें तो आम लोगों की तरह ही सम्मान के साथ जीवन व्यतीत कर सकें। लेकिन जेलों में रहने वाले कैदी सुधरने के बजाय शातिर अपराधी बनते जा रहे हैं। शासन फिलहाल जेलों के हालात सुधारने के लिए कोई प्रयास करते हुए नहीं दिखाई दे रहा है।
राज्य बनने के बाद से कारागार विभाग मुख्यमंत्री के पास ही रहा। फिर इन वर्षों में जेलों की हालातों में जो सुधार होना चाहिए था वह नहीं है। अब जेल जाने का अर्थ है अपराधकी शिक्षा लेना जो भी एक बार जेल चला जाता है, वह शातिर अपराधी बनकर निकल रहा है। जेल में किसी प्रकार की सुधारात्मक गतिविधियां नहीं हो रही हैं। यहां सजा काट रहे कुख्यात अपराधी जेल के अंदर गैंग बना रहे हैं। यहीं से वह संगठित तरीके से अपराध कर रहे हैं। जेल पुलिस पर आरोप लग रहे है कि इस अपराधियों की मदद कर रही है । बिना जेल पुलिस के सहयोग के अपराधियों द्वारा नेटवर्क चलाना असम्भव है ।
सामान्यत: अपराधी कुछ दिन जेल रहने के बाद जमानत में रिहा हो जाते हैं। जितने दिन यहां वह रुकते है, उन दिनों में वह अपराध की दुनिया का बहुत कुछ ज्ञान सीख लेते हैं। अल्मोडा जेल मे 102 की कैदियों को रखने की ब्यवस्था है । जबकि जेल में 325 कैदियों व बंदियों को रखा गया है।नई जेल प्रस्तावित है। किन्तु सरकार निर्णय लेने मे बिलम्ब कर रही है । सीधे साधे व केवल संन्देह के आधार पर पकड़े गये कैदी भी इन गिरोहों के संम्पर्क मे आकर पेशेवर अपराधी बन जाते है ।जेल के हालात बहुत खराब है। इन्हें सुधार गृह के रूप मे ब्यवस्थित करने की जरूरत है ।