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कौसानी मे आयोजित सामाजिक राजनैतिक व गांधीवादी संगठनों का तीन दिवसीय सम्मेलन विविध प्रस्तावों के साथ सम्पन्न हुवा   कार्यक्रम का संयोजन भुवन पाठक ने किया  संचालन चारु तिवारी मे किया  मंथन कार्यक्रम में  पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा ने वर्तमान राजनैतिक हालातों पर चर्चा की वाहनी के अध्यक्ष व स्वराज अभियान के राजीव लोचन साह ने  वर्तमान परिपेक्ष्य मे पहाड़ के हालात पर , राजनैतिक उदासीनता पर विचार ब्यक्त किये  , सी पी आई एम एल के महासचिव इन्द्रेश मैखुरी व भुवन पाठक ,समीर रतूड़ी बिजय जडधारी , सदन मिश्रा , आदि ने ब्यापक चर्चाये की तथा रणनैतिक कार्यक्रम तय किये , दो दिनी इस सम्मेलन मे बसुधा पन्त , दयाकृष्ण काण्डपाल स्निग्धा तिवारी   मो इस्लाम  नीमा बैष्णव  आदि ने परिचर्चा मे भागीदारी की ,इस अवसर पर सरला बहिन को याद किया गया व राधा बहिन के सुझावों से भी सदन को अवगत कराया गया ।,जिसमे अलग अलग सत्र आयोजित किये गये ।सम्मेलन  में तय किया गया  कि  सामाजिक कार्यकर्ता  उत्तराखण्ड़ मे एक समाज जोड़ो यात्रा निकालेगे ।  इस अवसर पर , मार्गदर्शन करते हुवे पद्म श्री  शेखर पाठक ने कहा कि राज्य बनने के बाद पहाड़ो से जो पलायन हो रहा है यात्रा मे उसके कारण निवारणो पर चर्चा , के साथ ही भूमि बन्दोवस्त करने पर भी उन्होंने जोर दिया शेखर पाठक ने कहा कि उत्तराखण्ड़ के पर्वतीय जनपदों मे अब 5% कृर्षि भूमि बची है । जिस पर निर्वाह  करना मुमकिन नही है कम जोत , सुविधाओं का अभाव रोजगार का  अभाव पलायन की धारणा को मजबूत कर रहे है । उन्होने कहा , आने वाले परिसिमन में पहाड़ों की राजनैतिक  हैसियत विधानसभा मे और कम हो जायेगी , 

   राज्य के जनमुद्दों पर  बात मोहन काण्डपाल ने कहा कि पहा मे रहने वाला युवा आज पहाड़ो से जाना चाहता है , जबकि दिल्ली मे बदहाल हालत मे जी रहा युवा पहाड़ मे आ भी रहा है , पहाड़ों से जाने वाले छुट्टी मे घर आने वाले युवा इन दिनों गाव के युवाओं के मौडल बन गये । जो पहाड़ो को जिन्दा रख रहे है पर गां व की मानसिकता इतनी नकारात्मक हो गई है कि  वापसी कर रहे लोगों की कोई प्रतिष्ठा नही बन पा रही  है।


सल्ट के पूर्व जिला पंचायत सदस्य.नारायण सिंह बिष्ट ने कहा कि  पहाड़ मे वे टिके है जिनके पास शहरों मे जमीन खरीदनें की क्षमता नही है । सल्ट मे हाल के दिनों मे कम से कम चार महिलाओं को गुलदार ने  मार दिया  लोगों मे जानवरों का भय ब्याप्त है , मोगान मे आयुर्वैदिक कम्पनी पर भी  पलायन का दबाव है । गाव के लोगों की  सोच  भी नकारात्मक हो गई है वे सोच रहे है, कि खेतों मे सब कुछ सरकार करेगी , पर सरकार की योजनाये पूंजीपति के लिये है । यदि कोई काम करना भी चाहे तो उसके लिये सुविधाये नही है बैंक कर्ज देने को तैयार नही है ।


घनशाली से आये  दिनेश लाल ने कहा कि  जिस  कल्पना के साथ राज्य मांगा वह स्वप्न ही रह गया , उत्तराखण्ड में एक अप्रेल से दारू सस्ती हो गई  है , अन्य सब वस्तुये महंगी हो गई ।

  तल्ला रामगढ से आये बची सिह विष्ट ने कहा कि  आज लोगों के बीच सामाजिक कार्यकर्ता पहुच ही नही पाते है  इसी कारण लोंग  हमसे लोग दूर हो गये हमें अपना मूल्यांकन करने की जरूरत है । हम पहाड के लोग बनों के बीच मे पहने के कारण  बनवासी है ,  वे लोंग रामगढ मे जमीने बेच रहे है जो फल पट्टी के  कारण  स्वालम्बी थे ।


कौसानी संवाद मे हेलंम की घटना का संन्दर्भ बताते हुवे सृति ने कहा कि बेलंग की घटना के बाद अब महिलाओं मे चेतना का विकास हो रहा है। ।

अल्मोड़ा के सामाजिक कार्यकर्ता ईश्वर जोशी ने कहा कि -राज्य बनने के बाद समस्याये और बढ गई है अ,ब बन दरोगा बच्चों से काफल तोड़ने मे भी इतराज कर रहे है । सवालो पर चर्चा हमेशा होती रही , उन्होंने कहा कि सामाजिक लोग चर्चा करते रहे पर पर सत्ता से बात मनवाने की दिशा मे काम नही हो रहा है ।


उ प पा अध्यक्ष पी सी तिवारी ने कहा कि हिमालय व उत्तराखण्ड की विकास नीति पर चर्चा होनी जरूरी है । बदलाव व एकता की ओर बढने की जरूरत है , सरला बहिन की परिकल्पना के अनुरूप क्या काम कर रहे है इॊ पर सोचना जरूरी है , आरोप व प्रत्यारोपो के बीच सच यह है कि अपनी समस्याओं के लिये पीड़ितों को ही खड़ा होना पडेगा। तभी सहयोग हो सकता है । उत्तराखण्ड मे आज जो हो रहा है , उसके लिये नीतिगत बात जरूरी है । चुनाव लड.ना आसान नही है कठिन है पर जिम्मेदारिया उठाने के लिये नेता बनना जरूरी है , राजनैतिक दलो के बीच एकता बनाना असंम्भव नही है,पर द्वन्द से ही लोकतन्त्र फलेगा ।यह भी सच है कि हर समस्या मे सब लोग खड़े नही हो सकते ,पर जो खड़े होते है उनके साथ खड़ा होने की जरूरत है ,। देश मे 81 करोड लोग गरीब है जिनको राशन देना सरकार की मजबूरी है । यह सोचने की जरूरत है कि देश कहा खडा है।विना संगठन के व विचार के अभाव में कोई समाज आगे नही बढता , भू कानून के बाद भी भू माफियां जमीने खरीद ही नही रहे है अपितु गांवो मे अशान्ति भी फैला रहे है किसी भी बदलाव के लिये कुर्वानी ही देनी पडेगी।

इस कार्य क्रम मे आल वेदर रोड निगरानी समिति के सदस्य रहे रवि चोपड़ा मे कहा कि यदि देश मे सत्ता परिवर्तन नही हुवा तो देश की राजनीति मे मे बड़ा बदलाव होगा । अब देखना होगा कि आगामी समय मे जिन पांच राज्यों चुनाव होना है , उनमें क्या बदलाव होता है पर ब्यापक बदलाव के लिये फिर से भारत जोड़ों अभियान जरूरी है इस समय कर्नाटक में चुनाव प्रस्तावित है , इसके बाद देश भर मे जनजागरण टोलियो का जाना तय माना जा रहा है । 2014 का चुनाव इमरजैन्सी के बाद के हालातों की तरह ही है ।

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