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दिल्ली 2 दिसम्बर संसद में प्रवेश पर रोक लगाने के खिलाफ पत्रकारों का गुस्सा सरकार पर फूटा। सूत्रो के अनुसार पत्रकारों की संसद मे प्रवेश की मांग के समर्थन में
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरीआदि के बाद आज
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने पत्रकारों का समर्थन।किया
उन्होंने इस बारे में राष्ट्रपति को पत्र भी लिखा है।

सैकड़ों पत्रकारों ने यहां सरकार के तानाशाही रवैये के खिलाफ संसद तक मार्च किया। इस से पहले पत्रकारों ने प्रेस क्लब के भीतर एक सम्मेलन भी किया जिसमें प्रेस एसोसिएशन के अध्यक्ष जयशंकर गुप्त एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के महासचिव संजय कपूर वरिष्ठ पत्रकार सतीश जैकब, राजदीप सरदेसाई ,आशुतोष ,प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा महासचिव विनय कुमार भारतीय महिला प्रेस कोर की विनीता पांडेय दिल्ली पत्रकार संघ के एस के पांडे आदि ने सरकार के इस रवैये की तीखी आलोचना की और किसान आंदोलन की तरह पत्रकारों का आंदोलन छेड़ने का आह्वान किया।
वक्ताओं का कहना था कि कोविड के नाम पर सरकार पत्रकारों के संसद में प्रवेश पर रोक लगा रही है ताकि विपक्ष की खबरें न आये और केवल सरकारी खबरें आएं।
उनका कहना था कि पहले सरकार ने सेंट्रल हाल का पास बन्द किया ताकि पत्रकार सांसदों नेताओं से मिलकर सरकार विरोधी खबर न दे सकें।
वक्ताओं ने कहा कि अब वे पत्रकारों को पहले की तरह प्रवेश नहीं दे रहे ,जबकि सांसद और संसद के कर्मचारी आ जा रहे हैं।एक तरफ तो सरकार ने सिनेमा हॉल रेस्तरां माल खोल दिये दूसरी तरफ पत्रकारों पर रोक क्यों। गिने चुने पत्रकार कोरोना का टेस्ट कराकर जा रहें है तो सबको प्रवेश क्यों नहीं दिया जा रहा ।

वक्ताओं का कहना था कि लोकसभा और राज्यसभा की दर्शक दीर्घा राजनयिक दीर्घा और सभापति तथा अध्यक्ष की दीर्घाएँ खालीं हैं तो वहां पत्रकारों को बिठायाजा सकता है। लेकिन सरकार की मंशा कुछ और है।
सरकार ने पहले ही पीटीआई यू एन आई की सेवा बंद कर रखी है।उसे केवल सरकारी खबरे चाहिए।इसलिए पत्रकारों के प्रवेश पर रोक लगी । इतना ही नहीं प्रेस सूचना कार्यालय द्वारा पत्रकारों के कार्ड का नवीनीकरण नहीं हो रहाहै।

पत्रकारों ने सभा के अंत मे एक प्रस्ताव भी पारित किया जिस् में इस लड़ाई को अंजाम देने तक लड़ने की सबसे अपील की गई।

पत्रकारों का कहना था कि यह केवल संसद में प्रवेश की लड़ाई नहीं बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है क्योंकि बिना मीडिया के लोकतंत्र जिंदा नहीं रह सकता।

इस से पहले देश के जाने माने संपादक, पत्रकार फोटो जर्नालिस्ट और संसद के दोनों सदनों को कवर करने वाले रिपोर्टर अपनी मांगों को लेकर आज एक बजे प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एकत्र हुए ।उन्होंने संसद के स्थायी पास धारक पत्रकारों के संसद परिसर तथा दोनों सदनों की प्रेस गैलरी में प्रवेश की मांग को लेकर पुरजोर आवाज़ उठाई । प्रेस क्लब से बाहर जब सैकड़ों पत्रकार तख्तियां लिए आगे बढ़े तो संसद के गोलचक्कर के पास पुलिस ने नाकेबंदी कर दी जिससे पत्रकार संसद के गेट के पास नहीं जा सके।पत्रकारों ने जमकर नारेबाजी की और अपनी एकजुटता प्रकट की।

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पत्रकारों की मांग इस प्रकार है-

हमारी मांग है कि जिन पत्रकारों के पास स्थायी पास है ,उन्हें संसद परिसर तथा राज्यसभा और लोकसभा की पत्रकार दीर्घा में प्रवेश की अनुमति दी जाए ताकि वे पहले की तरह सदन की कार्यवाही नियमित रूप से कवर कर सकें।

हमारी मांग है कि जुलाई में लोकसभा अध्यक्ष ने यह निर्णय लिया था कि स्थायी पास धारकों को संसद कवर करने के लिए पत्रकार दीर्घ के पास पहले की तरह बनेंगे,उस फैसले को लागू किया जाय।
हम यह भी मांग करते हैं कि संसद के सेंट्रल हाल के पास बनने पर जो पाबंदी लगी है उसे हटाकर पहले की तरह नए पास बनाएँ जाएं।वरिष्ठ पत्रकारों की लंबी सेवाओं कोदेखते हुए इस सुविधा को बहाल किया जाए।

हमारी यह भी मांग है कि दीर्घावधि समय तक संसद कवर करनेवाले पत्रकारों के विशेष स्थायी पास फिर से पहले की तरह बने जो उनके पेशे की गरिमा और सम्मान के अनुरूप है। फिलहाल सरकार ने इस पर भी रोक लगा रखी है।

हमारी यह भी मांग है कि जिन पत्रकारों को सत्र की पूरी अवधि के लिए जो पास बनते थे, उन्हें पहले की तरह पास बनाएं जाएं ताकि वे सदन की कार्यवाही कवर कर सकें क्योंकि सरकार द्वारा पत्रकारों के प्रवेश पर रोक लगने से उनकी नौकरी और सेवा पर भी असर पड़ा है जिससे उन्हें
छंटनी का भी सामना करना पड़ा है

हम यह भी माँग करते हैं किदोनों सदनों की प्रेस सलाहकार समितियों का नए सिरे से गठन हो क्योंकि दो साल के बाद भी उनका गठन नहीं हुआ।
सभी संपादकों , ब्यूरो चीफ तथा पत्रकारों संवाददाताओं प्रेस छायाकारों से अपील है कि वे अधिक से अधिक संख्या में आकर इस मार्च को सफल बनायें ताकि सरकार पर दवाब डाला जा सके और हमें हमारा अधिकार मिले।लोकतंत्र को मजबूत बनाने और प्रेस की स्वतंत्रता के लिए पत्रकारों को संसद कवर करने का अवसर पहले की तरह मिले। इससबिरोध प्रदर्शन में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ,एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, प्रेस एशोसिएशन ,इंडियन वोमेन्स प्रेस कोर दिल्ली पत्रकार संघ और वर्किंग न्यूज़ कैमरामैन एसोसिएशन शामिल हुवे

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