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अल्मोडा जन सरोकारो के साथ हमेशा जुडे रहे उच्च शिक्षा प्राप्त माला भवन निवासी गिरीश जोशी का आज दिनांक 18 नवम्बर को निधन हो गया । गिरीश जोशी जी के पिता कुमाऊ के एक प्रत्ष्ठित ब्यावसाई थे । गिरीश जोशी का बचपन भी एक राजकुमार की तरह बीता था । हम लोग जब उत्तराखण्ड भ्रमण पर जाते तो उनका सेवक दलबहादुर उनकी अटेजी पकड कर पोस्ट आफिस के पास खडा रहता । पर बाद के दिनों मे दलबहादुर काम छोडकर चला गया । वैसे भी गिरीश जोशी के पास कोई बिशेष काम नही था ।वे अपना समय किताबें पडने व घर की साफ सफाई मे ही बिताते थे । अपने परिचितों के घर पहुँच जाते थे । उत्तराखण्ड की नदी बाँध परियोजनाओं के खिलाफ चले आन्दोलन मे वे उत्तराखण्ड की यात्रा मे वे हमारे साथ थे । उत्तराखण्ड संघर्ष वाहिनी के दिनों मे वे आर के धाम मे बौद्धिक ज्ञान देते थे ।

जीवन मे जवानी आसानी से कट जाती है पर बुढापा व विमारी मे अपने किसी खास ब्यक्ति की जरूरत होती है। गिरीश जोशी हमें बताते थे कि वे चार भाई थे अब केवल दो भाई जीवित है । उनरी भतीजी सुप्रिम कोर्ट मे एडबोकेट है।उनके अलावा उनके बडे भाई और है जो हल्दवानी में रहते है । जीवन के इस अन्तिम पडाव मे उनकी भतीजी रचना जोशी उनके लिये चिन्तित रही ।हमसे बराबर सम्पर्क मे रही हालचाल पूछती रही । रवैल कपूर जी ने उन्हे अस्पताल मे भर्ती कराया । रचना जोशी जी को जब सूचना मिली तो उन्होंने पी सी तिवारी जी को बताया । पी सी तिवारी जी से हमें पता चला वे आपातकालीन वार्ड मे थे ।।उसके बाद चार दिन तक मै उन्हे अकेले देखते रहा। कई बार उनका पेट खराब हो गया कपडे खराव हो गये तबरचना जी मे कमाल भाई को भेजा था । कमाल भाई एक पैजामा खरीद लायेे । जब वह भी खराब हो गया तब कुर्ता पैजामा लिया उन्हें पहनाया कपडे धोये उनकी सफाई की । तब उनके व हमारे मित्र एडबोकेट दिवान धपोला जी को मैने उनकी बिमारी की सूचना दी । वे परिवारिक सदस्य की तरह सेवा मे जुटे अन्तिम समय मे वे ही साथ थे ।

अल्मोडा अब बृद्ध जनों का शहर बनता जा रहा है अधिकांस युवा पलायन कर गये है । अरबों की सम्पत्ति व बैंक बैलेन्स के बाद भी देखरेख करने वाले कोई नही परिजन महानगरो व बिदेशो मे है । ऐसे मे एक बृद्ध संरक्षण गृह की जरूरत है । हम गौ सेवा ट्रष्ट की ओर से प्रयास कर रहे है । उम्मीद है कि यह होगा। गिर्दा को श्रद्धान्जली

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