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अल्मोडा 31जनवरी , आज के समय मे चिकित्सक होना एक बड़ी बात है । उस पर भी चिकित्सक बिशेषज्ञ हो तो ये इससे भी बड़ी बात है । आज हम एक ऐसे चिकित्सक की चर्चा कर रहे है जो उत्तराखण्ड़ मे स्वास्थ निदेशक के पद से सेवानिबृत हुवे । अपने मजाकियां व स्पष्ठ बोलने की आदतों के कारण यद्यपि उनके आलोचक भी काफी है ।.पर प्रसंसकों की भी कमी नही है । डा0 साहब आर्थिक रूप से काफी संम्पन्न है । उनकी एक पुत्री बालिबुड़ में अभिनेत्री है तो दूसरी भी कोई कम नही । पत्नी विश्वविद्यालय मे प्रोफेसर रही है । कुछ साल पहलें उनकी पत्नी का निधन हो गया । डा0 साहब ने पत्नी के निधन के बाद अपने को जिस तरह से सभाला वह भी किसी मिशाल से कम नही है । वे गौ सेवा ,अभियान , गायत्री परिवार , सहित बिभिन्न प्रकल्पों से जुड़े है । रेडक्रोस सोसायटी के माध्यम से वे निरन्तर कोरोना के प्रतिजन जागरण करते रहते है । कई बार यह जन जागरण लोंगोंको तब अखरता है जब वे नियमों का पालन नही करते ।

जी हां हम उत्तराखण के पूर्व स्वास्थ निदेशक डा0 जे सी दुर्गापाल की बात कर रहे है । कुछ साल पहले हमने बडसप मे एक बृद्ध सेवा हेतु एक समुह बनाया जिसका लक्ष्य था बुजुर्गो से संवाद किया जाय। ग्रुप मे चन्द्रमणी भट्ट व जे सी दुर्गापाल सबसे महत्वपूर्ण ब्यक्ति है। तय किया गया कि रविवार व अवकास के दिनों मे कम से कम दो चार बुजुर्गो से अवश्य मिला जाय, जब गौ सेवा के प्रकल्प से समय मिलता है तो हम लोंग भी ऐसे बुजुर्गो से जरूर मिलते है । पर डा़ दुर्गापाल का उनसे मिलना उन्हें काफी सकून देता है। इस रविवार को भी डा जे सी दुर्गापाल कुछ बुजुर्गों से मिले । उनका हास चाल जाना , परिवारिक समस्याओं का भी समाधान किया । सामान्यत: बुजुर्गो का युवाओं से तालमेल कम बैठता है । इस सप्ताह वे कर्नल डेनियल , लीला टम्पा , व 94 वर्षीय रविन्द्र लाल बर्मा से मिले तो इन बुजुर्गों के चेहरो मे रौनक आ गई ।. ऐसा चिकित्सक आज के दौर मे होना अल्मोंड़ा जैसे शहर के लिये सुखद आश्चर्य है ।