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जोशीमठ –हिमालय की संवेदनशीलता किसी से छुपी नही है,यह कच्ची पहाड़ियों व मलुवे व भूमिगत तालाबों को अपने में समेटे हुवे है जिससे निकलने वाला पानी हिमानी व गैर हिमानी नगियों को जन्म देता है। जोशीमठ में पिछले कई सालों से भूं -धसाव हो रहा है जोशी मठ मे एन टी पी सी सुरंग आधारित तपोबन -विष्णुगाड़ जल, बिधुत परियोजना बना रही है , जब इस परियोजना में सुरंग खोदनी आरम्भ हुवी तभी बड़ी भारी मात्रा मे सुरंग में पानी का रिसाव हुवा था , ।तब से अब तक लोग एन टी पी सी की इस परियोजना के खिलाफ लोग आन्दोलन कर रहे है ,।सरकार ने निजि कम्पनियों के माध्यम से हिमालय मे चेंन श्रंखला में बिद्युत परियोजनायें प्रस्तावित की है कई निर्माणाधीन है , यही नही बड़ी संख्या में चौड़ी सड़के भी प्रस्तावित है । बद्रीनाथ के लिये दोशीमठ मे बाईपास बनाया जा रहा है । हिमालय को मैदान बनाने की परियोजनाये ,पानी को जमीन के भीतर ले जाकर उनका अस्तित्व मिटा देने की सनक ने जोशीमठ को उजाड़ बना दिया है । मकानों मे आई चौड़ी -चौड़ी दरारे किसी अनहोनी की ओर ईशारा कर रही है लोगों का कहना है कि अब तो घरों के भीतर से भी पानी रिसने लगा है । जोशीमठ बचाओं संघर्ष समिति पिछले कई समय से जमीनी व न्यायालयी लड़ाई लड़ रही है पर सरकार कुछ भी सुनने को तैयार नही है । इसी से आक्रोशित होकर बीते दिनों बड़ी संख्या मे लोग सड़को पर आ गये आन्दोलनकारी अतुल सती ने मीड़िया को बताया कि अब जनता पुनर्वास की मांग कर रही है जोशीमठ अब लोंगों के रहने के लिये सुरक्षित नही है ।
इसी श्रंखला मे हजारों लोगों ने अपने अस्तित्व रे लिये जोशीमठ मे मशाल जुलूस निकाल कर अपना विरोध ब्यक्त किया ।
लोगों का मानना है कि यह भू धसाव बिष्णुगाड़ तपोबन बिद्युत परियोजना मे सुरंग खोदने व आल वेदर रोड़ के चौड़ीकरण /बाईपास मार्ग निर्माण मे की जा रही खुदाई के कारण हो रहा है पर एन टी पी सी व सरकार यह मानने को तैयार नही है कि आपदा प्राकृतिक नही मानव जनित है किन्तु लोग पुनर्वास कराने की मांग कर रहे है ।