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अल्मोड़् 10जून , कभी स्वछन्द भ्रमण व आपसी वार्तालाप मिलन व बिघ्न रहित ,खरीददारीके लिये मशहूर अल्मोड़े का पटाल बाजार अब , एक नये पार्किंग स्थल के रूप मे विकसित हो रहा है ।बाजार मे सैकड़ो वाहन इधर उधर दोनों तरफ खडे रहते है ,व दोपहियां व चौपहियां वाहनों  की आवाजाही भी अब आम बात है, यह शिथिलता पुर्व जिलाधिकारी नितिन भदौरिया  के समय में आरम्भ  हुई जब  वे अपने सरकारी वाहन को पुरानी कचहरी गेट तक  आते जाते रहे , जिसका तब भी कुछ लोगो ने बिरोध किया पर अनदेखी की हई । उनके देखा देखी बाजार मे  , दुपहियां व चौपहिया वाहनों की आवाजाही आरम्भ हो गई अब बाजार का बिगड़ा स्वरूप सामने आ रहा है।पहाड़ो की रानी  मंसूरी व नैनीताल मे  भी वी आई पी मूवमैन्ट आम बात है फिर भी इन शहरों ने भी बाजारो में  वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा रखी है । अल्मोड़ा मे भी शैलानियों के आवागमन की चाह में पर्यटन बिकास के लिये नागरिक सुविधाओं की बलि देकर अल्मोड़ा कलैक्ट्रेड़ को बिस्थापित कर दिया गया ऐसे में यह स्थानान्तरण के लक्ष्य कैसे पूरे होंगे पर्यटक कैसे आवाजाही करेंगे यह सोचनीय विषय है ,। बाजार जब घूमने व खरीददारी करने लायक ही रहेगी तो पर्यटक व आम नागरिक यहां क्या करेंगे यह एक वैकल्पिक सड़क मे परिवर्तित मार्ग बन जायेगा ।

वेद पुन्ज www.vedpunjnews .in द्वारा जब इस सम्बन्ध में आम नागरिकों से बात की तो दो प्रकार की प्रतिक्रिया सामने आई एक यह कि बाजार का माहौल व बुजुर्गो बच्चों व खरीददारों के लिये अनुकूल नही रहा अनियंन्त्रित वाहन लोगों की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहे है । दूसरे पक्ष का कहना है कि हमने लाखों रूपये खर्च कर वाहनों को घर मे सजाने के लिये नही रखा है । दोनों के हित अपना – अपनी जगह है । पर सवाल यह है जब बाजार का बर्तमान स्वरूप ठीक है तो कलेर्ट्रेड हटाकर उसे पुराना स्वरूप देने से क्या लाभ होना है , पालिका को अब बाजार के नजदिक दुसरी तरफ भी पार्किंग स्थल तलाशना चाहिये यह स्थल आर के धाम , भप्ती कार्यालय के इर्द गिर्द हो सकता है ,जिससे पार्किंग व पर्यटन दोनो ही हो सके । पर बाजार में थाने से नीचे लाला बाजार तक किसी भी वाहन को आपातकालीन स्तिथि को छोड़कर आमे जाने की अनुमति नही होनी चाहिये ।