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अभी दो दिन पहले की ही बात है पूर्व सी एम त्रिनेन्द्र सिह रावत के वाहन के आगे हाथी आगया तो उन्हे अपनी जान बचाने रे लिये पहाड़ी पर चढमा पड़ा  पहाड़ों मे गूणी (लंगूर), बंदर, रिख (भालू), गुलदार (पहाड़ों में बाघ) का हमला तो आम बात है ही पर इस बार पूर्व सी एम फँसे तो यह मुद्दा बना ।इस घटना पर पूर्व सी एम हरीश रावत ने प्रतिक्रिया देते हुवे कहा कि कमसे कम पूर्व सी एम त्रिवेन्द्र रावत की जान बची ।

सवाल यह है कि यदि पूर्व सी एम को हाथी नही खदेड़ता तो यह राष्ट्रीय मुद्दा नही बन सकता था ।अब उम्मीद जगी है कि समस्या का कोई ना कोई समाधान जरूर निकलेगा।

वर्ष 2016 में- वन्यजीव हमलों में 69 लोगों की मृत्यु हुई, और 463 लोग जख्मी हुये।
वर्ष 2017- 39 मरे और 285 घायल।
वर्ष 2018- 60 मरे और 234 घायल।
वर्ष 2019- 58 मरे और 181 घायल।

इंडियन एक्सप्रेस की 30 जुलाई 2021 की रिपोर्ट के अनुसार- पिछले 20 साल में टाइगर के हमलों में, 46 लोग मरे और 98 घायल हुए, जबकि इसी दौरान गुलदार (पहाड़ के लोग बाघ कहते हैं) के हमलों में 455 लोग मारे गए हैं और 1585 लोग घायल हुए।

जंगली जानवरों के द्वारा फसलों और पालतू जानवरों का कितना नुकसान हुआ है, इसका आंकलन तो कोई विभाग नहीं निकालता है। मानव बन्य जीव संघर्ष को कम करने के लिये । FRI, वन विभाग, वन्य जीव संस्थान को जवाबदेह बनाया जाना चाहिये, ताकि पलायन भी रुक सके राज्य का भला भी इसी से संभव है। पौड़ी गढ़वाल के चौबट्टाखाल ब्लॉक का गाँव, बाघ (गुलदार) के डर से खाली हो गया है।

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