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शास्त्र कहते है कि वे भूतेश्वर है , वे साक्षात प्रलय के देवता ,   केदारनाथ  के प्रलय को हम अभी भूले नही है ।  उसकी धुँधली सी यादें अब भी जेहन मे सिंहरन पैदा करती है ,किसने सोचा था कि हजारों लोग इस शैलाव मे बह जाईगे या मर जाईगे ।  पर मन्दिर सुरक्षित रहेगा।

  यो तो प्रलय के बाद  केदारनाथ में काफी सृजन हो गया है पर  खास बात यह है कि केदारनाथ की दिवारों को फिर से  स्वर्ण जडित किया जा रहा है । रावण की तरह कोई एक और भक्त है , जो भोलेनाथ को सोने की लंका मे कैद करना चाहता है । जो केदारनाथ की रजत जड़ित दिवारों को स्वर्ण जडित करना चाहता है । पर तीर्थ पुरोहित कहते है कि शिव धाम को सोने या चांदी मे नही परम्पराओं मे ही रहने दिया जाय वे इसका जबरदस्त  बिरोध कर रहे है ।  यह भक्त एक मराठा है जो 230 किलों सोना मन्दिर की दिनारों को स्वर्ण जड़ित करने रे लिये देना चाहता है ।

  हिमालय मे केदारनाथ का मन्दिर उस गलेशिय र को नमन करने  का स्थान है दो धरती मे गंगा रा प्रवाह लाता है , पर्वत रूपी ग्लेशियर ही शिव की जटाये है । केदरनाथ  वह स्थल है जहां पर  मन्दाकिनी नदी  ग्लेशियर से मध्य हिमालय की ओर बहती है । इन दिनों वर्षा काल है मन्दाकिनी अपने जल शैलाव से प्रलय मचा रही है ।

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