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अल्मोडा सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान की शोधछात्र संगीता रावत के द्वारा नसी जीवों के परजीवी कीटों की जैव विविधता पर उत्कृष्ट कार्य किया है। जंतु विज्ञान विभाग के डॉक्टर संदीप कुमार के निर्देशन में शोध कर रही संगीता रावत ने इस कार्य को 8-9 फरवरी को उत्तराखंड राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद (UCOST) द्वारा आयोजित संगोष्ठी में प्रस्तुत किया। शोधार्थी ने बताया कि उन्हें एक नया परजीवी कीट को खोजा है। किट मधुमक्खी/ ततैया के समूह के प्राणियों के नजदीक है जिसको चलसीट वेस्प कहा जाता है। यह परजीवी कीट अर्जुन की पत्तियों में गांठ बनने वाले कीटों से मिला है। अर्जुन के पत्तियों को विभिन्न रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है। गांठ बनाने वाले कीट के प्रकोप से अर्जुन पेड़ के विभिन्न शाकीय एवं काष्ठीय भोगों की गुणवत्ता में कमी आ जाती है।शोध छात्रा द्वारा प्रस्तुत कार्य में नए खोजे गए परजीवी कीट का संरक्षण कर अर्जुन के पेड़ के पत्तियों में गांठ उत्पन्न करने वाले नाशी कीट का जैव नियंत्रण किया जा सकता है। इस प्रकार अर्जुन पेड़ की अच्छी वृद्धि को बनाने में सहायता मिलेगी।
पेड़ पौधे शाकाहारी कीट एवं शाकाहारी कीटों के ऊपर भोजन के लिए आश्रित परजीवी कीट आपस में मिलाकर ट्राईट्रोफिक इंटरेक्शन को स्थापित कर प्राकृतिक संतुलन को बनाकर रखते हैं। इस शोध कार्य को यूकोस्ट संगोष्ठी में प्रस्तुत करने पर संगीता रावत को युकॉस्ट द्वारा यंग साइंटिस्ट अवार्ड से नवाजा गया। बताते चले कि संगीता रावत ने अपने इस शोध कार्य में उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं क्षेत्र के 50 तरह के पौधों को हानि पहुंचाने वाले नाशी कीटों के परजीवी कीटों का गहन अध्ययन किया है। जो कि हानिकारक कीटों को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
डॉक्टर संदीप कुमार के निर्देशन में किए गए इस कार्य को विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सतपाल सिंह बिष्ट द्वारा सराहना की है और दोनों को बधाइयां दी गई। उन्होंने कहा कि यह हमारे विश्वविद्यालय के लिए गर्व की बात है।

शोधार्थी एवं शोध निर्देशक दोनों के भविष्य को लेकर भी उन्होंने शुभकामनाएं दी। जंतु विज्ञान विभाग की इस उपलब्धि पर डॉक्टर मुकेश सामंत डॉक्टर, डॉ आर.सी. मौर्य, विश्वविद्यालय और परिसर परिवार के शिक्षकों ने खुशी जाहिर की है।

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