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अल्मोड़ा 29 जून मानसून दहलीज पर खड़ा है ।आपदा प्रवन्धन विभाग अलर्ट मोड पर पर आपदा लाने वाली वर्षा जल के बहाव को ब्यवस्थित करने वाली नालिया व टूटी सड़के तथा पिछली आपदा मे टूटे व बह गये रास्ते अपने ही स्वरूप में है ।इस सम्बन्ध मे 2021की आपदा में जो जो नुकसीन हुवे वह लोगों द्वारा आपदा प्रवन्धन विभाग मे दर्ज करा दिये । नगर पालिका का कहना है कि आंगणन तैयार है । लेकिन बजट नही है । लोग सवाल कर रहे है क्या आपदाये सीमाये गेखकर आती है शहरी विकास मन्त्रालय आपदाओं के आगणन को क्यो स्वीकार नही करता , तमाम तरह का टैक्स देने के बावजूत नगर के जो हालात है वह किसी से छुपा नही है । ज्यादा दूर जाने की बात नही , बस स्टैण्ड के पास की ही नालियां अभी तक नही खोली गई है । नगर में नालियों और सड़कों की हालत जस की तस बनी हुई है नगर पालिका क्षेत्र के अंदर नालियों बुरा हाल है नालियों के ऊपर कहीं पर गाड़ियां तो कही पर भवन निर्माण सामाग्री पड़ी और कही कूड़ा कचरा पड़ा हुआ है. लेकिन नगरपालिका और लोक निर्माण विभाग इन सब बातों को नजर अंदाज किये हुए है। ऐसी स्थिति में बारिश का पानी नालियों में न जाकर रोड में फैलेगा और लोगों के घरोें तक जायेगा. उधर पूर्व में ही नगर की सड़कों में डामरीकरण हुआ जिसके बाद कई जगहों पर सड़कों में बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं पूर्व में हुई बरसात से कई जगह टूटी सड़कों को अभी तक बनाया नहीं गया है। अब दुसरी बारिश का समय आ गया है। लेकिन टूटी सड़को के किनारो कीे मरम्मत आज तक नही हो पायी है।
यहां सैकुड़ा बेेंड के पास आवासीय भवनों के उपर सड़क का किनारा टूट कर उसकी सारी मिट्टी रोड में आ रही है रोड किनारे लगे मिट्टी के ढेर से मोड में आने जाने वाले वाहन कभी भी हादसे का शिकार हो सकते हैं क्योकि इस मोड़ में मिट्टी का ढेर लगाने से समाने आने वाला वाहन दिखाई नही देता है जिस कारण हादसा होने का खतरा बना हुआ है पूर्व में इस मोड़ को काटकर सड़का को चौड़ा किया गया था लेकिन उपर से रोड की दिवार टूटने के कारण आयी मिट्टी से फिर वही स्थिति पैदा हो गयी है। और यह लंम्बे समय से यहा समस्या बनी हुई हैं। और अब उपर रोड का एक बडा हिस्सा टूटने के कगार पर है जो कभी भी टूटकर निचे रहने वाले आवसीय भवनों को नुकसान पहुचा सकता है। लेकिन विभाग इन सबसे अनजान बना हुआ है। जबकि इस रोड में लगातार अधिकारी आते जाते रहते हैं उधर इस रोड के किनारे पड़ी जल संस्थान की सिवर लाइन के टूटे हुए पाइप की मरम्मत सही करने के बजाया जल संस्थान ने काम चलाओ पाइप जोड़ कर पल्ला झाड़ लिया है।
उधर नगर क्षेत्र में नालियां लंबे समय से चार पहिए वाहनों का गैरेज बनी हुई है लोगों ने अपनी चार पहिए वाहन हमेशा के लिए नालियों के उपर खडें कर रखे है और इसके साथ ही भवन निर्माण की सामग्री भी नालियों के उपर रखी जाने लगी है.जिससे नालियों की सफाई नही होने के कारण बारिश का सारा पानी रोड में बहकर रोड को नुकशान पहुचा रहा है पर किसी को इससे क्या लेना देना जब तक कोई बडा हादसा नही होता विभाग की कान कहां खुलते हैै। यहां सिकुड़ा बैंड से लेकर राजपुरा तक सड़क के किनारे नालियों के ऊपर कही चार पहिया वाहन खडे हो तो कही भवन निर्माण की सामग्री पड़ी है तो कही नालियोें में कुड़ा भरा पड़ा है.तो ऐसे में आने वाले मानसून में नगर में पानी की निकासी कैसे होगी ।

दुगालखोला मुहल्ले की समस्या भी कम नही है ।बोस अकेडमी स्कूल के पास बाजार से धारानौला जाने वाला सम्पर्क मार्ग पिछली आपदा मे बह गया था । इस मार्ग से रोज सैकड़ो स्कूली बच्चे फिसल – फिसल कर जाते है । पानी लोगो के घरो मे घुस ऱहा है । यहाँ यह कहावत चरितार्थ होती रोम जल रहा था नीरो बासुरी बजा रहा था । बरसात आते ही सड़को नालियो व सम्पर्क मार्गो की यह हालत देखकर सम्बन्धित मुहल्लों के लोग परेशान है वे नगर पालिका व सम्बन्

धित विभागों के चक्कर लगाते – लगाते थक गये है ।

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