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बिहार की नीतीश कुमार सरकार बिहार में जातिगत जनगणना तथा आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है इस मुद्दे को लेकर कई लोग पटना हाईकोर्ट में गए और उन्होंने इस जातिगत जनगणना तथा आर्थिक सर्वेक्षण का विरोध करते हुए न्यायालय में याचिका दायर की इसी क्रम में आज पटना हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि फिलहाल जातीय जनगणना व आर्थिक सर्वेक्षण पर रोक लगाई जाती है जैसा कि विदित है बिहार में जातीय गणना और आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देते हुए पटना हाईकोर्ट मे याचिका दायर की गई थी। जिसमें यह कहा गया था कि जातिगत जनगणना का कार्य राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।बिहार में चल रहे जातीय जनगणना पर रोक लगाए जाने के बाद पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एसडी संजय ने मीड़िया को बताया बताया कि इस मामले पर 3 मई को हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी कर ली गई थी। उन्होंने यह भी बताया कि उच्चतम न्यायालय यानी सर्वोच्च न्यायालय का यह भी आदेश था कि पटना हाईकोर्ट 3 दिन के अंदर इस पर अपना फैसला सुनाएं। उन्होंने कहा कि बुधवार को सुनवाई पूरी होने के बाद गुरुवार को पटना हाईकोर्ट ने बिहार में चल रहे जातिगत गणना और आर्थिक सर्वेक्षण पर तत्काल प्रभाव से अंतरिम रोक लगा दी है। यद्यपि बिहार में जातिगत गणना के दूसरे चरण का कार्य भी शुरू हो चुका है अब सवाल यह है कि सरकार क्या करेगी क्य वह इस मामले को लेकर सुप्रिम कोर्ट जायेगी पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एसडी संजय ने यह भी बताया कि याचिका में यह भी कहा गया था कि बिहार में हो रहे जातीय गणना लोगों के वैधानिक और संवैधानिक अधिकार का हनन है। इसमें जिस तरह से सवाल पूछे जा रहे हैं उससे लोगों के निजता का भी हनन हो रहा है। इसके अलावा याचिका में यह भी जोर देकर कहा गया था कि जातिगत गणना केंद्र सरकार के अधिकार में आता है ना कि राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में। अधिवक्ता एसडी संजय ने यह भी कहा की सरकार अगर वास्तव में जातिगत गणना के पक्ष में है तो वह इस फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट भी जा सकती है ।
आपको बता दें कि बिहार में पिछड़ी राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों जिसमें बीजेपी भी शामिल थी, सभी में बिहार में जातिगत जनगणना कराए जाने की मांग की थी। आपको यह भी याद दिला देगी जाति आधारित जनगणना कराने को लेकर 2022 में ही बिहार के तमाम राजनीतिक दलों का एक प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात कर चुका है। लेकिन केंद्र सरकार द्वारा जातीय जनगणना से इंकार किए जाने के बाद बिहार सरकारी इसे अपने खर्चे पर पूरा करा रही थी। दरअसल इस जाकीय जनगणना का मकसद सर्वे के आधार पर अपने – अपने बोट बैक को साधना था बिहार मे पिछडे वर्ग यनि ओ बी सी की राजनीति मुख्य केन्द्र में है विहार के सभी राजनैतिक दल चाहते है कि ओ बी सी का बोट उन्हे मिले ,सरकार पर आरोप है कि सरकार इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिये यह गणना करा रही थी अगली सुनवाई तीन जुलाई को होगी ।

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