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देश के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में आदिवासी इलाकों मे मैतेई समुदाय को अनुसुचित जन जाति का दर्जा दिये जाने की मांग को लेकर चलाये जा रहे आंदोलन के दौरान बुधवार को उस समय हिंसा हो गई,जब वह मार्च निकाल रहे थे अब तक इस हिंसा की चपेट में आठ जिले आ गए है इस राज्य मे हिसक माहौल को देखते हुवे राज्यपाल ने कई इलाकों में दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए हैं। हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में धारा 144 लागू कर दी गई । राज्य में अगले पांच दिनों के लिए इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है। इस समय मणिपुर में असम राइफल्स की 34 और सेना की 9 कंपनियां तैनात हैं। साथ ही गृह मंत्रालय ने रैपिड एक्शन फोर्स की पांच कंपनियों को भी मणिपुर भेज दिया है हालांकि, इसके बावजूद मणिपुर में बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है।
बताया जा रहा है कि इस हिंसा के कारण अब तक सात हजार से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा चुका है। हालात को देखते हुए आठ जिलों- इम्फाल वेस्ट, काकचिंग, थौबाल, जिरिबाम, बिष्णुपुर, चुराचांदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल में कर्फ्यू लगा दिया गया है।इसके अलावा, पूरे राज्य में अगले पांच दिन के लिए मोबाइल इंटरनेट को बंद कर दिया गया है. हालांकि, ब्रॉडबैंड सर्विसेस चालू रहेंगी।दरअसल, हाल ही में मणिपुर हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एमवी मुरलीधरन ने एक आदेश दिया था इस आदेश में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई को भी अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करने को कहा था मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा की मांग करने वाले संगठन का कहना है कि ये सिर्फ नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का मुद्दा नहीं है, बल्कि ये पैतृक जमीन, संस्कृति और पहचान का मसला है संगठन का कहना है कि मैतेई समुदाय को म्यांमार और आसपास के पड़ोसी राज्यों से आने वाले अवैध प्रवासियों से खतरा है।
इसी के विरोध में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (ATSUM) ने ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला था।इसी एकता मार्च के दौरान हिंसा भड़क गई

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