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भारत व नेपाल के सम्बन्ध जगजाहिर है यह आपसी विस्वास पर कायम है , दोनो देशों की जनता , सीमाओं पर एक दूसरे पर निर्भर है , भारत के बहुत से कारोबारी नेपाल मे है तो नेपाल के बहुत से कारोबारी भारत मे भी है दोनों देशों के बीच रोटी -रोजी व बेटी व रक्षा का सम्बन्ध भी है । किन्तु जब से नेपाल में माओंवादी आन्दोलन चला तब से निरन्तर दोनो देशों के मैत्री सम्बन्ध तल्खी की तरफ बढ रहे है नेपाली मीड़िया का एक बड़ा हिस्सा चीन की भाषा बोलने लगा है नेपाली संसद मे भी मिथिला राज्य के मैथिली , भोजपुरी भाषाई सांसदों को अपमानित किया जा रहा है , नेपाल मे मधेषियों ने नेपाली संविधान मे उन्हें उचित प्रतिनिधित्व देने के लिये एक बड़ा आन्दोलन चलाया था मधेषियों को नेपाल में अपनी राष्ट्रभक्ति का सबूत देना पड़ रहा है । हिन्दी बोलने पर उन्हे भारत का ऐजेन्ट कहा जा रहा है ,।

ताजा विवाद नेपाली नक्से मे हेरफेर कर लिपुलेख व कालापानी इलाके पर नेपाल ने विवाद खड़ा कर दिया है दरअसल लिपुलेख व कालापानी को लेकर चीन के इन्टैस्ट है चीन ने नेपाल को उकसाकर यह विवाद खड़ा कर दिया है। अब तो हद हो गई नेपाल के दार्चुवा मे नेपास अपनी सेना का जमावड़ा कर रहा है चीन उम्हे हथियार दे रहा है । नेपाल के दार्चुले व भारत के धारचुले को एक पुल जोड़ती है दोनो देशों के लोग विना रोकटोक एक दूसरे देश मे आ जा सकते है । अब नेपाली मीड़िया के अनुसार नेपाल के दार्चुले मे भारत के खिलाफ नेपाल चीनी हधियारों से लैस सेना का जमावड़ा कर रहा है , नेपाली मीड़िया के अनुसार यह जमावड़ा लिपुलेख व कालापानी क्षेत्र पर नेपाली बर्चस्व कायम करने तथा उस इलाके को चीन को देने के लिये किया जा रहा है नेपाली मीड़िया के अनुसार यदि इस इलाके में नेपाल का आधिपत्य होता है तो चीन यहां से नेपाल के लिये सड़क बना सकता है और चीनी सामान सीधे नेपाल पहुंच सकता है । इस सम्बन्ध मे यदि भारतीय पक्ष को देखा जाय तो भारत की मीडिया में लगभग खामोशी है भारतीय.,सोसियल मीड़िया मे फिलहाल जातीय उन्माद ही ज्यादा है । चायना पोषित नेपाली सेना को लेकर फिलहाल अभी कोई हलचल नही है ।जबकि नेपाली मीड़िया ने इसे एक बड़ा मुद्दा बना लिया है । आने वाले दिनों मे विवाद आगे ना बढे दोनों देशों मे मित्रवत सम्बन्ध बने रहे इसके लिये पहल जरूरी है अन्यथा इसका असर भारत नेपाल के सामाजिक व सास्कृतिक सम्बन्धों मे पडना तय बै , राजशाही व लोकतान्त्रिक नेपाल मे एक बुनियादी अन्तर है नेपाल का लोकतन्त्र चीन के रहमोकरम पर चल रहा है । इस पर भारत सरकार को गंम्भीरता से सोचने की अब जरूरत है । ताकि सीमाओं पर समय रहते हुवे असंन्तोष को ठीक किया जा सके ।

पिछले दिनों जब नेपाल मे नये प्रधानमन्त्री पुष्प दहल प्रचन्ड़ नेपाल के प्रधानमन्त्री का पदभार ग्रहण कर रहे थे तब उस घटना को कवर करने गये भारतीय पत्रकारों पर नेपाली मीड़िया के पत्रकारों मे जमकर भड़ास निकाली , मीड़िया की स्वतन्त्त्रता के अन्तर्राष्ट्रीय मापदण्ड़ों की जमकर अवहेलना की गई तब वरिष्ट पत्रकार देवांग को नेपाली मिडिया के एक पत्रकार को कहना पड़ा कि उसे पत्रकारिता की समझ नही है ।

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