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राज्य बनने के बाद जिस प्रकार उत्तर प्रदेश के जमाने से पहाड़ों मे स्थापित कार्यालय एक-एक कर देहरादून में स्थापित हो रहे है उससे पहाड़ों के लोग अपने आप को ठगा हुवा महसूस कर रहे है अब हालात यह हो गये है कि अब पहाड़ों से नेता व बोटर ही नही विधानसभा की सीटे भी पलायन कर चुकी है , कुछ ही वर्ष शेष बचे है जब पहाड़ों की हालत लद्दाख जैसी बन जायेगी , भूतहा गांवों में मैदानों से आ रहे मजदूर अपना डेरा बना रहे है । ऐसे मे गैरसैण राजधानी आन्दोलन पहाड़ के भूतहा गांवो मे फिर से मानवीय हलचल पैदा करने का एक प्रयास है भराड़ी-सैण को त्रिवेन्द्र सरकार ने उत्तराखण्ड़ की ग्रीष्म कालीन राजधानी घोषित कर दिया था , किन्तु उनके सत्ता से जाते ही गैरसैण सरकार के लिये गैर हो गया । ना तो यहीं ग्रीष्म कालीन सत्र हुवा और ना ही अब शीतकालीन सत्र हो रहा है । आन्दोलनकारी सरकार पर आरोप लगा रहें है कि नैनीताल से हाईकोर्ट ही नही अपितु भराड़ी सैण मे राजधानी के नाम पर जो ढांचा बनाया गया इन सब को निष्प्रयोज्य बनाने की कोशिसे हो रही है , इन्ही सब नीतियों के खिलाफ आगामी विधानसभा सत्र जब देहरादून में होगा तब गैरसैण राजधानी आन्दोलनकारी संगठन भराड़ीसैण में जनता की विधानसभा आयोजित करने जा रहे है । स्थाई राजधानी गैरसैण संघर्ष समिति ने लोगों से अपील की है कि वे जन बिधान सभा सत्र में गैरसैण आकर अपनी भागेदारी करें ।

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