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अल्मोड़ा, 8 जून संयुक्त सचिव भारत सरकार, उपेंद्र कुमार जोशी (नोडल अधिकारी अमृत सरोवर एवं जल शक्ति अभियान) द्वारा आज उनके द्वारा जनपद अल्मोड़ा के भ्रमण कार्यक्रम के संबंध में विकास भवन सभागार में अधिकारियों के साथ डिब्रीफिंग बैठक की गई। उन्होंने भारत सरकार की अमृत सरोवर एवं जलशक्ति अभियान के तहत जनपद में किए जा रहे कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि जनपद में जल संरक्षण की संभावनाएं काफी हैं जिसका उचित प्रबंधन करने की जरूरत है। इससे पूर्व उन्होंने जनपद में अमृत सरोवर के लिए चयनित स्थलों का स्थलीय निरीक्षण किया। बैठक में उन्होंने कहा कि सभी चयनित स्थलों की जियो टैगिंग एवं मैपिंग का कार्य भी किया जाए। उन्होंने वाटर हार्वेस्टिंग कंजर्वेशन पर जोर देते हुए कहा कि इसके लिए लगातार जनजागरुक अभियान चलाने की आवश्यकता है। इसके लिए उन्होंने लोगों के घरों में वाटर टैंक तथा घर की छतों में टैंक बनाने पर जोर दिया जिससे वर्षाजल को अधिक से अधिक बचाया जा सके। उन्होंने अल्मोड़ा में जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए किए जा रहे कार्यों के प्रति प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जनपद में 79 स्थलों का चयन किया जाना योजना के अनुरूप कार्य करना है। लेकिन यदि अन्य स्थल भी अमृत सरोवर के लिए उपयुक्त हैं तो उनका भी चयन कर लिया जाए तथा उनका भी सदुपयोग किया जाए। साथ ही उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि जिन स्थलों का चयन किया गया है उनकी भूगर्भीय जांच भी अवश्य करा ली जाए तथा कार्यों को दीर्घकालिक योजना के अनुरूप करें। इस दौरान उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के कार्यों में जनसहभागिता, विशेष तौर पर महिलाओं को जोड़ने की जरूरत है। इसके लिए उन्होंने दीर्घकालिक योजना बनाए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने जारी फंड को भी मितव्ययिता से खर्च करने को कहा। साथ ही उन्होंने कहा कि विभिन्न कार्यों में मनरेगा से किए जा रहे कार्यों का भुगतान भी समयंतर्गत करें। उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित गांव धसपड की भी प्रसंसा की तथा उसके अनुरूप ही जनपद में कार्य करने के निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने जलसंरक्षण में वनों की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि वृक्षारोपण के कार्य भी किए जाएं तथा किस जगह पर किस प्रजाति के वृक्ष उपयुक्त हैं, इसका भी खयाल किया जाए। इसके लिए उन्होंने सभी संबंधित विभागों को आपसी तालमेल के साथ कार्य करने के निर्देश दिए।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी नवनीत पांडे, भारतीय हाइड्रोलॉजी संस्थान, रुड़की के वरिष्ट वैज्ञानिक डॉ राजेश सिंह, परियोजना निदेशक चंद्रा फर्त्याल समेत अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।