जातियां व धर्म नेताओं के लिये सत्ता पाने व जमे रहने के आसान तरीके है। बहुत से लोंग उन नेताओं को भली भाँति जानते है जो चुनाव आते ही जातीय समिकरण तलाशने लगते है पर वास्तव मे जब ये पद पर होते है तब इन्हें जाति नही अपना स्वार्थ ही नजर आता है । ये रावण की तरह भाई को भी लात मारकर फेंक देते है
दुनियां भर के कट्टरपंथी, साम्प्रदायिक राजनेता और धर्मों के ठेकेदार अपने मतदाताओं को टुकड़ों में बांट कर रखना चाहते हैं क्योंकि यही उनके लिए शोषण का धंधा है। सांप्रदायिक राजनेता, धर्म के ठेकेदार और कट्टरपंथी कभी नहीं चाहते कि मानवता एक हो जाए, यह बात उनके निहित स्वार्थ के खिलाफ है। वो चाहते हैं तुम किसी भी तुच्छ बात के लिए बस आपस में लड़ते रहो, झगड़ते रहो। वो चाहते हैं तुम्हारी सारी ऊर्जा, सारी शक्ति, सारी बुद्धि बस आपस में लड़ने में ही नष्ट होती रहे। ताकि वो सत्ता में, सियासत में, हुकूमत में बने रहें और मानवता का शोषण करते रहें।
सांप्रदायिकीकरण राजनीतिज्ञों ने, कट्टरपंथियों ने और धर्म के ठेकेदारों ने मिलकर सारी पृथ्वी पर सभी तरह के विभाजन, भेदभाव, बटबारे, दंगे फसाद, युद्ध, हिंसा और आतंकवाद पैदा किए हैं। दुनियां में जितने भी विभाजन हुए हैं, जितने भी युद्ध हुए हैं, जितने भी बटबारे हुए हैं, उस सबके लिए कट्टरपंथी, सांप्रदायिक राजनीतिज्ञ और धर्म के ठेकेदार जिम्मेदार हैं। और जब तक मानवता बेहोश रहेगी सम्मोहित रहेगी, तब तक ये सांप्रदायिक राजनेता और धर्म के ठेकेदार मानवता का शोषण करते रहेंगे।
धर्मों के ठेकेदारों ने और सांप्रदायिकता के जहर से भरे हुए राजनीतिज्ञों ने सत्ता सियासत और हुकूमत के लिए तुम्हारे धर्मों पर कब्जा करके, धर्मों को राजनीति का अड्डा बनाकर, उन्हें विकृत रूप दे दिया है। उन्हें विध्वंसयात्मक बना दिया है। धर्मों के नाम पर ये तुम्हें लड़ा रहें हैं, मार रहे हैं और अज्ञानता में तुम भी इन्हीं मूढ लोगों का साथ दे रहे हो। धर्म और राजनीति विपरीत आयाम हैं। राजनीति हिंसा है, विध्वंस है।राजनीति तुम्हें मरने की भाषा सिखाती है, वह कहती है मरो और मारो। आपका धर्म अगर आपसे दंगे करवा सकता है, हिंसा, युद्ध करवा सकता है, खून खराबा_ रक्तपात करवा सकता है,मोब लिंचिग करवा सकता है, बटबारे करवा सकता है,नफरत करवा सकता है, इंसान से भेदभाव करवा सकता है,
तो धर्म नहीं आप एक गिरोह के चुंगल में फंसे हुए हैं, जिसे आतंकी संगठन कहते है। धर्म की सबसे सरल व्याख्या है- सयंम सदाचार का जीवन, आपकी वजह से किसी प्राणी को कोई कष्ट न पहुंचे, कोई दुख न पहुंचे, कोई तकलीफ़ न पहुंचे। यही धर्म है। मनुष्य होना ही पर्याप्त है।हिंदू मुस्लिम ईसाई होना यह सब भेदभाव, विभाजन, हिंसा, युद्ध, रक्तपात की जड़ें हैं।
वेद का अमर सन्देश है मनुर्भव: यानि मनुस्य बनों , वेद लोगों को किसी सम्प्रदाय मत मतान्तर के आग्रह में नही बल्कि यतार्थ सत्य में बांधते है। गायत्री मन्त्र विवेकी बनने का आग्रह करता है । आनो भद्रा: मन्त्र से सब अच्छी अच्छी बातों को ग्रहण करने का आदेश है पूर्वाग्रही मनुष्य के लिये आगे का रास्ता नही खुलता । किन्तु विवेकी अपनी राह को आसान बना लेते है । जातियां नही आगामी विधानसभा चुनाव में नेताओं री जाति नही गुण कर्म व स्वभाव देखिये । इसी आधार पर मतदान करें