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विवाह की उम्र सीमा को बढाये अथवा घटाये जाने की बहस लम्बे समय से चली आ रही है । इसी बहसो के बीच केंद्र सरकार ने महिलाओं के लिए शादी की कानूनी उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का फैसला किया है,। जिससे इसे पुरुषों के बराबर लाया जा सके. इस फैसले का प्रगतिशील तबका स्वागत कर रहा है । किन्तु परम्परागत समाज इसे सही नही मान रहे ।। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को पुरुषों और महिलाओं की विवाह योग्य उम्र में एकरूपता लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. सूत्रों ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी. सूत्रो ने बताया कि सरकार बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 में संशोधन के लिए संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र में एक बिल ला सकती है. सूत्रों ने कहा कि प्रस्तावित बिल में एक समान विवाह आयु सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न समुदायों के विवाह से संबंधित विभिन्न पर्सनल लॉ में परिणामी परिवर्तन करने की भी मांग हो सकती है.
वर्तमान में महिलाओं की शादी करने की कानूनी उम्र 18 वर्ष है जबकि पुरुषों के लिए 21 वर्ष है. ये फैसला प्रधानमंत्री की घोषणा के एक साल बाद आया है । इस पर सरकार ने समता पार्टी की पूर्व अध्यक्ष जया जेठली के नेतृत्व मे चार सदस्यीय कमेटी बनाई थी ।यह फैसला जया जेटली के नेतृत्व मे बनी चार सदस्यीय टास्क फोर्स की सिफारिश पर आधारित है. शादी की उम्र को लेकर की गई सिफारिश के बारे में बोलते हुए, जया जेटली ने कहा कि लैंगिग समानता व लिंग सशक्तिकरण दो प्रमुख वजहों से यह निर्णय लिया है । उन्होने कहा कि, अगर हम हर क्षेत्र में लैंगिक समानता और लिंग सशक्तिकरण की बात करें. तब हम शादी जैसे मुद्दे को छोड़ नहीं सकते हैं, क्योंकि ये एक बहुत ही अजीब संदेश देता है कि लड़की 18 साल की उम्र में शादी के लिए फिट हो सकती है. इस वजह से उसके कॉलेज जाने का अवसर कम हो जाता है. उन्होंने कहा कि वहीं दूसरी ओर पुरुषों के पास 21 साल तक जीवन और कमाई के लिए खुद को तैयार करने का अवसर होता है. लेकिन इन दिनों जब लड़कियां इतना कुछ करने में सक्षम हैं और लेकिन उनकी शादी का मुख्य कारण यह है कि वे परिवार के आय कमाने वाली सदस्य नहीं हैं. लेकिन हम उन्हें ऐसी भावना पैदा करने का अवसर क्यों दें?
समता पार्टी की पूर्व प्रमुख ने कहा, हमें उन्हें कमाने और एक आदमी के बराबर होने का मौका देना चाहिए और वह 18 साल की उम्र में बराबर नहीं हो सकती जब आदमी के पास ऐसा करने के लिए 21 साल हैं. दूसरे, हमने बहुत से लोगों से राय ली लेकिन मुख्य लोग जो सबसे अधिक चौकस थे, वे स्वयं हितधारक थे. उन्होंने कहा, हमने युवा लोगों यूनिवर्सिटी, कॉलेजों और ग्रामीण क्षेत्रों में जहां वे अभी भी पढ़ रहे हैं या पढ़ाई पूरी कर चुके हैं. उन्होंने सर्वसम्मति से कहा कि शादी की उम्र 22 से 23 साल होनी चाहिए. सभी धर्मों के सदस्यों की एक ही राय थी कि शादी की उम्र को बढ़ाया जाय इसी आधार पर केन्द्र सरकार की कैविनेट ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है । यह रानून देश रे सभी नागरिको पर समान रूप से लागू होगा कानून ंे धार्मिक आधार पर छूट नही है ।