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अल्मोड़ा ईसा मसीह का जन्म दिवस देश भर मे बड़े धूमधाम से मनाया गया । चर्चो मे ईसाइयों से ज्यादा हिन्दुओं की उपस्तिथि देखी गई ।अंग्रेजी स्कूलों मे बच्चों को शान्ता बनाना , गिफ्ट लेना व देना , केक काटना एक फैसन बन गया है बच्चों की जिद स्कूलों की मनंानी के आगे माता पिता बेवस नजर आये ।। ऐसे ही सैन्टा बनाकर सजी धजी बच्चे की मां से जब वेदपुन्ज संवाददाता ने पूछा ।ये शान्ता कौन है ?। आपने अपने बच्चे को शान्ता क्यों बनाया ?उसे केवल इतना पता था कि आज ईशा का जन्म दिन है । ईशा के सिद्धान्त क्या है? उससे इन्हें कोई लेमा देना नही था| शान्ता बच्चों को गिफ्ट देता है । उसे बस इतना पता था। स्कूल के कहने पर ही उसने शान्ता की ड्रेस खरीदी व बच्चे को पहना दिया ।वह घर केक भी ले जाने वाली थी उस महिला मे प्लास्टिक का क्रिसमस ट्री भी खरीदा था क्योकि बच्चों की जिद के आगे उसकी चलने वाली नही थी ।वह उसे घर मे सजाने वाली थी । चर्च भी हिन्दुओं के चर्च मे प्रवेश से कोई उत्साहित नही दिखे चर्चों को पता है कि जो अपने धर्म के बारे मे नही जानते वे ईशा के बारे मे क्या जानेंगे ? जो जानने का इच्छुक है वह ऊीड़ मे नही आता ।। अलबत्ता औपचारिक रूप से चर्च मे लगे एक स्टाल से न्यू टेस्टामैन्ट भेंट की जा रही थी । पादरी कह रहा था यीशू धर्म की रक्षा के लिये तीन दिन तक सूली में लटका रहा उसकी मृत्यु हो गई वह तीसरी दिन फिर से जी उठा ।

इस सवाल के जबाब मे पंँण्डित जी लोगो से कह रहे थे । महाभारत मे भीष्म छ: माह तक बाणों की सय्या पर लेटे रहे फिर भी नही मरे । क्या यह आश्चर्य नही है ।

आज क्रिसमस दिवस पर हिन्दु संगठनों ने तुलसी पूजन दिवस का राग अलापा, वे भूल गये कि पूर्वज इस दिन को बड दिन के रूप मे मनाते थे भीष्म ने महाभारत के अनुसार 22दिसम्बर को सबसे छोटा दिन व तेईस दिसंम्बर से दिन सूर्य के उत्तपायण होने पर अपने प्राँ त्यागे थे । सनातन संगठन अवैज्ञानिकता का प्रचार करें तो यह वैज्ञानिक सनातन धर्म के प्रति अन्याय है । बड दिन यानि उत्तरायण में ही गंगा पूत्र भीष्म ने प्राण स्वेच्छा से त्यागे थे चौदह जनवरी को एक घडी़ यानि चौवीस मिनट दिन बढ जायेगा । इसे सभी पचांगकार जानते है फिर भी तुलसी दिवस का शिगूफा क्यो?.

नगर मे वे लोंग जो धर्म के माईने ही नही जानते वह पन्थ व जीवन शैली को ही धर्म मानते है ।धर्म सब मनुष्यो का एक ही है पर पन्थ एक नही स्थान भूगोल पर्यावरण मौसम के आधार पर जीवन शैली अलग – अलग होती है शारिरिक अनुकूलता भी मौसम के अनुसार अलग – अलग है इसी आधार पर सभ्यताओं का जन्म हुवा है । किन्तु मनुष्य को जीने के लिये पांच तत्वों की अनिवार्य जरूरत है यह सब मनुष्यों के लिये जरूरी है । इसी आधार पर सबका एक ही धर्म है ।

शान्ता एक ऐसा पात्र है जो सूट- बूट से कसा सिर मे टोपी पहना सफेद दाडी वह भेष – भूषा मे युरोपीय । बच्चों को गिफ्ट देकर अपनी तरफ आकर्षित करना उसका काम है यह बच्चों का लोकप्रिय पात्र है । जो केवल नकल कर शान्ता बन रहे है । इनकी सच्चाई को हर बुद्धिंमान ब्यक्ति जानता है । धर्म एक है पर पन्थ यानि सभ्यतायें अनेक ।यह सार्वभौमिक सत्य है। ईशा के जम्म दिवस व भीष्म के निर्वाण दिवस को उत्साह से मनाने वालो के लिये यह आदर्श समय हो सकता है । सबको यथायोग्य शुभकामनायें ।

ईसा सूली पर चढ गये ।

भीष्म पाप का प्रायश्चित हेतु सर सय्या पर लेटे