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देहरादून  अभी गर्मी की शुरूआत है .. देहरादून में ये हालात हैं । 120 मोहल्लों में पानी की कमी है । यदि कुछ दिन और वर्षा नही हुई तो यह समस्या और विकरास हो जायेगी , । सरकार के पास इस समस्या का फिलहास कोई हल नही है किन्तु भारी धन चुकाकर  टैकर  इस समस्या का हल  जरूर निकाल लेते है ,। मुहल्लों मे पानी ना आना टैकर्स के लिये एक मुनाफे का सौदा है ।अब मोहल्लों में टैंकर्स से पानी पहुंचाया जा रहा है ।सामाजिक कार्यकर्ता  अतुल सती बताते है कि  दून घाटी  किसी समय पानी के लिहाज से समृद्ध  घाटी थी  यहा बासमती चावल की खेती लोक प्रसिद्ध है , पूरा देहरादून नहरों से सुसज्जित था । ईस्ट कैनाल सड़क का अब नाम भर है ..सड़क है पर कैनाल गायब है ।
राज्य बन जाने के बाद दून की नदियां अतिक्रमण की गिरफ्त मे है , और खनन से अब सिर्फ नक्शों में निशान भर हैं ।  देहरादून में अत्यधिक दोहन से भूजल की कमी हो गई है ।

राज्य बन जाने के बाद जिस तरह से देहरादून में आबादी का घनत्व बढ़ा है..पलायन होकर पूरा पहाड़ देहरादून में जाकर ढेर हो रहा है..आने वाले वर्ष और भी भी चुनौतीपूर्ण होने वाले हैं ।

देहरादून से आगे बढ़ें तो ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाईन के कारण .. सुरंग के ऊपर के तमाम गांव में पानी का संकट पैदा हो गया है । कुछ गांव जो पूरी तरह अपने जल स्रोत पर निर्भर थे .. वहां सुनते हैं आजकल रेलवे की ठेकेदार कम्पनी पानी के टैंकर से पेयजल पूर्ति कर रही है ..जब तक उनका स्वार्थ रहेगा तब तक । पेयजल और सिंचाई के अधिकांश स्रोत सूख गए हैं । वह पानी सुरंग में आता दिख रहा है ।
शेष पहाड़ भी जिस तरह के विकास का शिकार बन रहा है ..इसी तरह के संकट के दरवाजे धकेला जा रहा है ।

बिन पानी भविष्य बड़े खतरे और संकट से आने वाली पीढ़ी को जूझना होगा ..जो हम ही आज उनके लिए बो रहे हैं ….

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