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बागेश्वर यो तो विज्ञान भूत – प्रेत को नही मानता पर अब कुछ वैज्ञानिक अनुसंधानों के बाद यह बात सावित हो गई है, कि किसी स्थान विशेष मे सकारात्मक व नकारात्मक ऊर्जा होती है । सकारात्मक ऊर्जा के लिये लोग ,यज्ञ , हवन , जप तप साधना , ध्यान व योग का सहारा लेते बै , जबकि नकारात्मक ऊर्जा के लिये आपसी बैमनस्यता , क्लेश ,नकारात्मक चिन्तन प्रदूषित वातावरण जिम्मेदार है । ब्यक्ति जिस वातावरण में रहता है । उसका प्रभाव उस पर जरूर पड़ता है ।
बागेश्रर जी जी आई सी मे आज से ठीक आठ साल पहले बालिकाओं मे मास हिस्टीरिया की शिकायत पाई गई । पहा़ड़ो इस बिमारी को भूत प्रेत का साया , यनि बीते समय से चली आ रही नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कह सकते है । 2014 में भी इस बिद्यालय मे बच्चियों में मास हिस्टीरिया का असर देखा गया छात्राये अजीवो गरीब हरकते करने लगी । तब स्कूल में वैदिक यज्ञ किया गया । तब से बीते आठ वर्षो मे रुछ मही हुवा पर एक बार पुन: आठ साल बार बच्चियों में वही सब कुछ हुवा । यहां पर आर्य संमाज का भवन भी बनाहै । पर बागेश्वर मे नियमित आर्य समाज नही चल रहा । बालिकाये धर्म के नाम पर भूत प्रेत की कथाये ही अपमे घरों मे सुनती रहती है । इसी का नकारात्मक प्रभाव इनके मनो मे है ।
सांमान्यत: कई लोग इसे पाखँण्ड कह कर उपेक्षित कर देते है पर यह रोगी के मन मे घर कर जाने वाली बिमारी है आजकल बागेश्वर धाम नामक एक संस्था के दरबार मे इस तरह के हजारों रोगी पहुंच रहे है । पहाडो मे भी झाड फूक वाले कई लोग ऐसे रोगियों का मनोवैज्ञानिक उपचार कर रहे है । पर इस प्रकार की घटनाओं मे कमी नही आ रही है । इसका समाधान तो जनजागरण व सकारात्मक विचारों का प्रवाह ही है ।