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एसएसजे के हिंदी विभाग में हिंदी दिवस मनाया गया

अल्मोड़ा सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के अल्मोड़ा, परिसर के हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग में विभागाध्यक्ष प्रो.जगत सिंह बिष्ट की अध्यक्षता में हिंदी दिवस मनाया गया। हिंदी दिवस के अवसर पर आयोजित हुई गोष्ठी में विद्वानों ने हिंदी भाषा के प्रयोग करने की बात कही।
डॉ गीता खोलिया ने गोष्ठी का संचालन करते हुए हिंदी दिवस, हिंदी भाषा के संबंध में रूपरेखा प्रस्तुत की।
अध्यक्षता करते हुए गोष्ठी में प्रो.जगत सिंह बिष्ट ने हिंदी दिवस की बधाई दी। प्रो बिष्ट ने कहा कि हिंदी हमारी अस्मिता की पहचान है। यह हमारी संवेदनाओं से जुड़ी है। आज़ादी के उपरांत हम हर क्षेत्र में उभर कर आ रहे हैं। अब हिंदी भाषा के लिए चिंता करने की जरूरत नहीं है। हिंदी की दयनीय दशा नहीं है। आज हिंदी भाषा सबसे आगे है। हिंदी सबसे आगे रहने वाली भाषा बन गयी है। विदेशों में हिंदी की अलख जगी है। कई देशों में हिंदी बोलने, समझने वालों की संख्या बढ़ी है। प्रवासी हिंदी भाषा को बढ़ावा दे रहे हैं। हिंदी भाषा फलफूल रही है। विभागाध्यक्ष प्रो बिष्ट ने आगे कहा कि हिंदी के क, ख, ग क्षेत्र में हिंदी भाषा बोलने का ग्राफ बढ़ा है। हिंदी का विश्व में विस्तार हो रहा है।
गोष्ठी में डॉ प्रीति आर्या ने कहा कि हमारे लिए हिंदी दिवस एक त्यौहार की तरह है। हिंदी हमारी संवेदनाओं से जुड़ी है।
डॉ. तेजपाल सिंह ने कहा कि हिंदी की स्थिति दयनीय नहीं थी, न है और न ही रहेगी। हिंदी भाषा में अन्य भाषाओं को समाहित करने की क्षमता है। डॉ.माया गोला ने कहा कि हिंदी हमारी राजभाषा है। हिंदी भाषा के उन्नयन के प्रयास होने चाहिए। इसके प्रचार-प्रसार के लिए काम किये जाने की आवश्यकता है। डॉ बचन लाल ने कहा कि जो संस्कार हमें हिंदी भाषा सिखाती है वह अंग्रेजी भाषा नहीं। अंग्रेजी भाषा के गुलाम न बनें। हिंदी का सम्मान करें।
गोष्ठी में लक्ष्मण बृजमुँख, हिमानी बिष्ट आदि शोधछात्रों ने बात रखी। भाष्कर धामी ने कविता पाठ किया।
गोष्ठी में प्रो कौस्तुबानन्द पांडे, डॉ प्रीति आर्य, डॉ ममता पंत,डॉ तेजपाल सिंह, डॉ. माया गोला, डॉ बचन लाल, डॉ प्रतिमा, डॉ आशा शैली,डॉ ललित चन्द्र जोशी (पत्रकारिता एवं जनसंचार), लक्ष्मण बृजमुख, जयवीर सिंह नेगी,भाष्कर धामी, आशा, राजेश कैंतुरा, किरन, अनीता दानु, हिमानी बिष्ट, सपना, डॉ विजेता सत्याल, राजेश, सुनील चौहान, डॉ आरती परिहार, श्री रवि कुमार के साथ हिंदी विभाग के शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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