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अल्मोड़ा 1जुलाई अभी वर्षा आरम्भ भी नही हुई कि वर्षा व कथित विकास के प्रभाव सामने आने लगे है ।

अल्मोड़ा किले से जिलाधिकारी ,व कलैक्ट्रेड आदि इस लिये हटाये गये कि सरकार इसे पर्यटक केन्द्र के रूप मे विकसित करना चाहती है मात्र कुछ ही घण्टों की वर्षा मे बिगत कई आपदाओं में गिरती जा रही दिवार ऐसे गिरी की वह अपने साथ कोर्ट को जाने वाला रास्ता भी ले गई ।

पुराने जिलाधिकारी कार्यालय के समीप बने स्टाप क्वाटर मे रह रहे लोगो को ऐहतियातन स्टाफ क्वाटर खाली करने पड़े , उन्हे नगर के एक होटल मे शरण लेनी पड़ी है । अभी दो दिन पहले , राज्य के मुख्यमन्त्री श्री पुष्कर धामी ने अधिकारियों से आपदा प्रबन्धन की जानकारी मांगी थी प्रशासन अपने कार्य मे मुष्तैद भी है । पर नगर के बीचोबीच हुवा भू स्खलन लोगों को हैरान कर रहा है ।

यहां पर स्टाप क्वाटर्स के पास पहले भी कई बार आपदाओ मे भू स्खलन हुवा है । ऐसे मे पर्यटन कैसे बढेगा यह एक यक्ष प्रश्न है ।
जहां तक पर्वतो मे बड़े – बड़े भू स्खलन हो रहे है उनमे सड़क निर्माण व भवन निर्माण के लिये प्रयोग की जा रही आधुनिक तकनीक जिम्मेदार है , ख़़ड्ड साईड में जहां सड़के व मकान पीलरों मे उठाये जा रहे है वही हिल साईड़ में पहाड़ो को काट कर सड़क में मिलाने का चलन बेतहाशा बढ गया है । अब तो साईड भ्यू पर भी ध्यान नही दिया जा रहा ।

पूर्व पालिकाध्यक्ष बालम सिंह जनौटी ने अपने कार्यकाल में कई होटलों का निर्माण इस लिये रुकवा दिया था कि उससे साईट भ्यू बन्द हो रहे थे ।हालांकि उनके पद छोड़ते ही वे सभी होटल व मकान बन गये जिन पर रोक लगी थी । कौसानी मे अभी भी यह नियम् लागू है । वहां कोई भी नियम बिरुद्ध होटल निर्माण नही कर रहा । पर अल्मोड़ा मे कोई नियम नही है पालिका से नक्सा पास करने के अधिकार छीन लिये है तो प्राधिकरण भी गंम्भीर नही है ।इसी का नतीजा है कि ये आपदाये आ रही है ।

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