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पूरी दुनिया मे नस्लीय हिंसा व गुलाम बनाकर उनसे काम लेने का इतिहास मौजूद है तो इससे उबरने का इतिहास भी मौजूद है , अमेरिका जिसे आज विश्व का सबसे सम्पन्न व शक्तिशाली राष्ट्र माना जाता है वहां पहला दास आज से बहुत समय पहले 1619 में अफ्रिका से वर्जीनिया  पहुंचा था। धीरे – धीरे ओद्योगिक विकास आगे बढा तो गुलामों की मांग बढी अफ्रिकी देशों से गुलामों को लाने का क्रम भी आगे बढा, 1793 मे रुई ओटने की मशीन बनने के बाद गुलामों को इस काम में लगाया गया, जिससे दासों की मांग बढ़मे लगी यही नही इस अत्याचार के कारण यदि कोई दास भाग कर कही और चला जाता तो उस भगोड़े गुलाम को स्वतंत्र प्रांतों में वापस भेजने का भी अमेरिका में कानूनी प्रावधान किया गया। पहली बार 1808में अफ्रिकी देशों से अश्वेतों को लाने पर रोक लगाई गई।1861को अमेरिका मे दक्षिण के प्रान्तों के अलगाव के बाद अलग होने के बाद से वहां कांफेडेरेसी की स्थापना हुई और अमेरिका गृह युद्ध की चपेट में आ गया ।इस प्रकार 1863 मे अब्राहिम लिंकन ने अमेरिका में स्वतन्त्रता की घोषणा की वहां के मजदूर भी आंशिक रूप से दासता से मुक्त हुवे ।प्रांतों के सभी गुलामों को आजाद घोषित किया गयायह देष गृहयुग्ध की बिभिषिका झेलने लगा ।अमेरिका मे 1865में गृहयुद्ध की समाप्ति हुई किन्तु तथा राष्ट्रपति अब्राहिंम लिंकन की हत्या कर दी गई इस हत्या के साथ ही वहां चल रहा गृहयुद्ध भी समाप्त हुवा 1868 में अमेरिकी संविधान में 14 वां संसोधन कर सभी अमेरिकी नागरिकों को पूर्ण नागरिकता दे दी गई 1870 में पहली बार अश्वेत पुरुषों को मताधिकार का अधिकार मिला किन्तु महिलाओं को यह अधिकार नही मिला 1896 में अमेरिकी सुप्रिमकोर्ट कोर्ट ने नस्ल भेद पर संविधानिक पृथकीकरण की ब्यवस्था की जिससे अमेरिका के दक्षिणी प्रान्तो में अलगाव पैदा हुवा अमेरिका ने एक वम्बे समय तक नश्लीय हिंला व भेदभाव को झेला 1947 में जैरी राविन्सन मेजर लीग बेसबाल में खेलने वाले पहले अश्वेत खिलाड़ी बने 1948 में राष्ट्र हैरी एस ट्रामन ने अमेरिकी सशस्त्र सेनाओं में अलगाव खत्म करने केलिए आदेश जारी किया। तथा इसी वर्ष शिक्षा में भी श्वेत व अश्वेतों के बीच भेदभाव की नीति को समाप्त किया गया । पहली बार 1955में अलाबामा के मोंन्टमोगरी मे रोसा पार्क नाम की एक महिला ने श्वेतों के लिये चलने वाली बस में बैठकर सीट छोड़ने से इनकार कर गिया तब तक इस देश में अश्वेतों के लिये अलग बसों की ब्यवस्था थी । इस महिला को गिरफ्तार कर लिया गया ,अंमेरिका मे अश्वेतोंके के लिये इस भेदभाव पूर्ण अलग ब्ववस्था को समाप्त करने के लिये मार्टिन लूथर किंग की अगुवाई में बसों का एक वर्ष तक वहिष्कार किया गया भेदभावपूर्ण ब्यवस्था का बहिष्कार करने के बिरोध में 1963में मार्टिन लूथर को बर्किघम मे बिरोध के गौरान जे ल भेज दिया । वाशिंगटन में आई हैव ए ड्रीम भाषण काफी लोकप्रिय हुवा 1965 में नागरिक अधिकारों के नेता माल्कम एक्स की हत्या के बाद उभपे असन्तोष के बाद अमेरिकी कांग्रेस ने मताधिकार कानून पारित किया , इस कानून के तहत अमेरिका मे अश्वेतों को भी मताधिकार के साथ ही चुनाव लड़ने का अधिकार मिला ,1965में नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष कर रहे मा
1966में मसाच्टूसेट्स के ऐडवर्ड ब्रूक गृह युद्ध के बाद शुरू हुए पुनर्निर्माण दौर के बाद से पहले अमेरिकी सीनेटर निर्वाचित हुए।1967 में थर्गूद मार्शल सुप्रीम कोर्ट के पहले अश्वेत न्यायाधीश बने।1968 में मार्टिन लूथर किंग की टेनेसी के मेम्फिस में हत्या कर दी गई 1990 में डगलस वाइल्डर सीनेट की अगुवाई करने वाले पहले अश्वेत बने। वह वजीर्निया के गर्वनर बने गए। इस प्रकार जून 2008 में इलिनाय से सीनेटर बराक ओबामा डेमोक्रेटिक प्रत्याशी के रूप में राष्ट्रपति पद का तुनाव जीता और ह्वाइट हाउस की दौड़ में शामिल हुए। 4नवम्बर 2008 कों ओबामा ने राष्ट्रपति पद की दौड़ में जान मैक्केन को परास्त किया। इस प्रकार अमेरिका के अश्वेतों ने अपने नागरिक अधिकारों को पाने के लिये कभी पीछे मुड़कर नही देखा ने आरक्षण के बल पर नही बल्कि अपने संघर्षो के बल पर आगे बढे ।
भारत में दलित कही जाने वाली जातियों को र रभी भी सवर्ण समाज ने अपना गुलाम नही बनाया । सामाजिक भेदभाव का भी कोई शास्त्रीय या धार्मिक आधार नही है वर्णाश्रम ब्यवस्था कार्य का विभादन मात्र है , जो समाज को अपने ही वर्ण में प्रतियोगी बनाता रहा ।. जो लोग मुस्लिम बन गये उन्होंने धर्म बदल लेने के बाद भी वर्ण नही बदला । इनके सामाजिक अधिकारों पर भारत मे उस प्रकार की रोक नही थी जैसी कि अमेरिका में मौजूद रही ।

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