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अल्मोड़ा उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के कार्यालय में 132वीं जयंती मनाई गई। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि आज भी परिस्थितियों में कोई परिवर्तन नहीं आया है जगदीश हत्याकांड इसका सबसे बड़ा उदाहरण है जिसमें कोई भी सत्तारूढ़ दल तथा विपक्षी दल का कोई नेता कुछ नहीं बोला।
उपपा अध्यक्ष पी सी तिवारी ने इस मौके पर डॉ बीआर अंबेडकर को याद करते हुए कहा कि अंबेडकर ने केवल दलित वर्ग नहीं बल्कि समूचे समाज के वंचित तबकों के बारे में सोचा और मानवता के लिए कार्य किया।
संगोष्ठी में प्रकाश चंद्र ने कहा कि गांवों में आज भी जातिवादी प्रभुत्व मौजूद है, दलित अभी भी सार्वजनिक प्राकृतिक चीजों का उपभोग करने का साहस नहीं कर पा रहे हैं।
संगोष्ठी में शामिल होते हुए पान सिंह ने कहा कि समाज में आर्थिक, सामाजिक समानता ना होने के कारण कानूनी अधिकार का प्रभाव समाप्त हो जाता है। हमें आर्थिक और सामाजिक समानता के लिये संघर्ष करना पड़ेगा। गिरधारी कांडपाल ने कहा कि हमारे देश में पिछड़ा, दलित, गरीब वर्ग के प्रतिनिधि केवल दिखावा है, वे अत्याचारों के विरुद्ध आवाज़ नहीं उठाते हैं, वे अपनी पार्टियों के गुलाम हैं। जगदीश हत्याकांड और अंकिता हत्याकांड में हमारे प्रतिनिधि चुप रहते हैं, जबकि वे हमारे ही टैक्स का उपभोग करते हैं। ऐसे में सामाजिक न्याय मिलना मुश्किल हो गया है। मोहम्मद साकिब ने कहा कि अम्बेडकर का संविधान निर्माण में सबसे बड़ा योगदान है। उन्होंने दबे कुचले लोगों को अधिकार दिलाने के लिये संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने मंडल कमीशन का विरोध किया लेकिन दुःखद है कि आज पिछड़ा वर्ग उसका साथ दे रहा है। भावना पांडे ने कहा कि हमारे देश की बड़ी आबादी मनुवादी विचार से ग्रसित है। उपपा प्रत्याशी किरन ने कहा कि अम्बेडकर ने जातिवाद का विरोध किया था। आज किसानों का दमन हो रहा है। जीवन चंद्र ने कहा कि हमें किसी भी तरह की कट्टरता का विरोध करना चाहिए, क्योंकि उससे लड़ाई टूटेगी। संविधान से अधिकार भी मिला है तो दमनकारी क़ानून भी बने हैं। अम्बेडकर ने कहा था कि संविधान इस बात पर निर्भर करेगा कि सत्ता में किस तरह के लोग हैं, आज देश में फासिज्म का दौर चल रहा है। इसका मुकाबला बिना विभिन्न समूहों की एकता के नहीं हो सकता. हमें अपने अंदर स्ट्रगल को मजबूत करना होगा। हमें बहुत चिंतन की जरूरत है, आज सत्ता ने लोगों के दिमाग़ को बंजर कर दिया है। बेहतर समाज ही बेहतर राजनीति को जन्म देगा। आलोचना से दूर होकर हमारा विकास भी रुक जाता है।
संगोष्ठी का संचालन केंद्रीय महासचिव एडवोकेट नारायण राम ने किया। संगोष्ठी में गोपाल राम, पान बोरा, राजू गिरी, सक्षम पांडेय आदि लोग उपस्थित थे।

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