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अल्मोड़ा 14 अप्रैल 2024 को  इण्ड़िया गठवन्धन की संयुक्त प्रेस वार्ता हुई  इसमे भाकपा(माले)  के राज्य सचिव कामरेड इंद्रेश मैखुरी की अल्मोड़ा में प्रेस वार्ता हुई.

प्रेस वार्ता मे भाकपा(माले)के राज्य सचिव इन्द्रेस मैखुरी ने कहा कि इंडिया गठबंधन के सभी घटक दल,उत्तराखंड में पूरी ताकत के साथ इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों का समर्थन कर रहे  है। भाकपा माले अल्मोड़ा लोकसभा क्षेत्र से इंडिया गठबंधन समर्थित कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टम्टा समेत उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर इंडिया गठबंधन के कांग्रेस प्रत्याशियों का पुरजोर समर्थन करती है।

उन्होंने बी जे पी पर आरोप लगाते हुवे कहा आज संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की 133 वीं जयंती है। भारत के संविधान निर्माण और लोकतंत्र को गढ़ने में उनके अवदान को हम सलाम करते हैं.एक दशक से सत्तासीन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार, बाबा साहेब के संविधान और उसकी बुनियाद पर खड़े लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा बन गयी है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के नाम पर सत्ता में आई मोदी सरकार, आज सबसे बड़ी भ्रष्टाचारी और अवैध वसूली करने वाली सरकार सिद्ध हुई है.

इलेक्टोरल बॉन्ड के लेनदेन का जो आंकड़ा सामने आया है, उससे साफ है कि इसकी सबसे बड़ी लाभार्थी भाजपा रही है. यह भी साफ है कि पहले कंपनियों पर एजेंसियां छापा मारती थी और फिर वो कंपनियाँ करोड़ों के इलेक्टोरल बॉन्ड भाजपा को देती थी।सितारगंज की जाइडस वेलनेस नामक कंपनी ने भाजपा को करोड़ों रुपए दिये और 2022 में 1200 मजदूरों को निकाल दिया।सिलक्यारा की सुरंग में जिस नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी की लापरवाही से 42 मजदूर 17 दिन तक सुरंग में फंसे रहे, उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई क्योंकि उसने भी करोड़ों रुपए इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में दिये.

दस साल पहले मंहगाई,बेरोजगारी से लेकर तमाम सवालों का जवाब मोदी सरकार को बताया गया था. एक दशक बाद देश देख रहा है कि अच्छे दिन इस देश के लिए तबाही और बरबादी के दिन सिद्ध हुए हैं.

हर साल दो करोड़ बेरोजगारों को रोजगार देने का वायदा झूठा सिद्ध हुआ. प्रधानमंत्री जी की बहुचर्चित पकौड़ा रोजगार योजना भी मंहगाई और बुलडोजर की भेंट चढ़ गयी. कुछ साल पहले एनएसएसओ की रिपोर्ट में बताया गया था कि 45 सालों में सर्वाधिक बेरोजगारी मोदी के काल में है. हाल में आई अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन(आईएलओ) की रिपोर्ट बता रही है कि बेरोजगारों में 83 प्रतिशत हिस्सा युवाओं का है. मोदी सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी.अनंथा नागेश्वरन ने कह दिया है कि सरकार बेरोजगारी जैसे सब सवालों का हल नहीं कर सकती !

अग्निवीर-अग्निपथ जैसी योजना लाकर न केवल फौज को अस्थायी कर दिया गया है बल्कि यह अन्य को भी संदेश है कि जब सबसे बड़ी नौकरी अस्थायी हो सकती है तो फिर बाकी नौकरियाँ स्थायी कैसे होंगी ! पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) की मांग कर रहे कर्मचारियों को भी परोक्ष रूप से बता दिया गया है कि सेना में पेंशन खत्म तो उन्हें पेंशन कैसे मिलेगी ? कुल मिलाकर यह स्थायी नौकरियों के खात्मे और देश की सुरक्षा से खिलवाड़ की योजना है.

एमएसपी और फसलों का लागत मूल्य को लेकर संघर्ष कर रहे किसानों की राह में कीलें बिछाई गयी, आँसू गैस और गोलियां चलायी गयी और उन्हें आतंकवादी और खालिस्तानी तक कहा गया. लंबे संघर्षों से हासिल मजदूरों के 44 श्रम क़ानूनों को खत्म करके चार श्रम कोड (लेबर कोड) लाकर मजदूरों को पूंजीपतियों का बंधुआ बनाने का इंतजाम कर दिया गया है.

# आशा-आंगनबाड़ी-भोजनमाता जैसे स्कीम वर्कर्स के लिए न न्यूनतम वेतन है,ना सरकारी कर्मचारी का दर्जा.

महिला सुरक्षा की बड़ी-बड़ी बातें हुई, बेटी बचाओ का नारा भी दिया गया, लेकिन इस एक दशक में महिलाएं सर्वाधिक हमलों और हिंसा की शिकार हुई. कठुआ, उन्नाव, हाथरस से लेकर उत्तराखंड में अंकिता भण्डारी के प्रकरण तक इस बात के उदाहरण हैं कि भाजपा हमेशा बेटियों के उत्पीड़कों के साथ खड़ी रही है. अंकिता भण्डारी केस के वीआईपी का तो अब तक कोई पता नहीं है और सरकार इस मामले में मुंह खोलने को तैयार नहीं है.

उत्तराखंड में डबल इंजन,डबल तबाही का सबब बना. नौकरियों की लूट, जल-जंगल-जमीन जैसे संसाधनों की लूट और जीवन की लूट ही बीते सात वर्षों में उत्तराखंड के हिस्से आई है. स्कूल बंद हो रहे हैं और सरकारी अस्पताल सिर्फ रेफरल सेंटर बने हुए हैं.

पर्वतीय कृषि पूरी तरह तबाही के कगार पर है. पहाड़ पलायन से खाली हो रहे हैं. पर्वतीय कृषि और पहाड़ी जनजीवन जंगली जानवरों और आवारा गौ वंश के आतंक से त्रस्त है. उत्तराखंड को समग्र भूमि सुधार की जरूरत है. साथ ही कृषि भूमि के संरक्षण के कानून की आवश्यकता लेकिन भाजपा की राज्य सरकार ने 2018 में जमीन के कानून में संशोधन कर पूरा पहाड़ पूंजीपतियों को बेचने की राह खोल दी.

धर्म के नाम पर उन्माद और उत्पात करने वालों को सरकारी संरक्षण हासिल है. दलित उत्पीड़न की घटनाएँ निरंतर बढ़ी हैं. चक्की छूने, कुर्सी पर बैठने से लेकर अंतरजातीय विवाह करने तक के लिए दलितों की हत्याओं का एक सिलसिला है. ऐसे मामलों में राज्य सरकार खामोशी बरते रहती है. 01 सितंबर 2022 को अल्मोड़ा जिले में हुआ जगदीश हत्याकांड इसका उदाहरण है. मुख्यमंत्री ना तो पीड़ित परिवार से मिले ना ही किसी मुआवजे की घोषणा की.

अतिक्रमण हटाने के नाम पर गरीबों को उजाड़ने का खेल भाजपा राज में लगातार खेला गया. वनों और खत्तों में रहने वाले लोगों से लेकर शहरों में नजूल जमीन पर बसने वाले तथा अन्य शहरी गरीबों को निरंतर उजाड़ने की कोशिश हो रही है. ऐसे अभियानों को सांप्रदायिक रंग दे कर अल्पसंख्यकों के विरुद्ध घृणा को गरीबों को उजाड़ने के हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.

विनाशकारी विकास के मॉडल की मार जोशीमठ बीते एक साल से अधिक समय से झेल रहा है. लंबे आंदोलन के बावजूद जोशीमठ के पुनर्वास, पुनर्निर्माण और स्थिरीकरण के लिए कोई ठोस प्रयास सरकार नहीं किया. सड़क,रेल निर्माण आदि तमाम कामों में प्रकृति पर्यावरण और परिस्थितिकी के विनाश को अंजाम दिया जा रहा है, जिससे उत्तराखंड के हिस्से सिर्फ तबाही आ रही है.

हम अपील करते हैं कि जाति-धर्म, धनबल-बाहुबल के प्रभाव से ऊपर उठ कर जनता के जीवन के असल मसलों पर लोग वोट करें और इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों को विजयी बनायें.

प्रेस वार्ता में राज्य सचिव कामरेड इंद्रेश मैखुरी के साथ माले के अल्मोड़ा जिला सचिव आनंद सिंह नेगी, जन संस्कृति के राष्ट्रीय पार्षद मदन मोहन चमोली, सीपीएम के जिला सचिव आरपी जोशी, कांग्रेस से इण्डिया गठबन्धन के जिला संयोजक मनोज कुमार जोशी, आम आदमी पार्टी के जिला अध्यक्ष आनन्द सिंह बिष्ट, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की जिला महामंत्री गीता मेहरा, भुवन जोशी आदि शामिल रहे।

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