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दुनिया के कई देशों में राजशाही के खिलाफ भी आंदोलनो के बाद  कई प्रकार की व्यवस्थाये अस्तित्व  आई है   मुख्यत:  दुनिया दो ध्रुवों मे  वट गई   है पूंजीवादी वव्यवस्था व समाजवादी ब्यवस्था मे द्वन्द है । इस समय पूंजीवादी देशों में लोकतंत्र की बयार बह रही है तो वामपंथी राष्ट्रों में तानाशाही सरकारे भी है ।

दुनिया में सबसे पहले जिन देशों में राजशाही के खिलाफ आंदोलन हुवे उसमें फ्रांस एक महत्वपूर्ण देश है इस देश में राजशाही की जगह को हटाकर अपने यहां लोकतंत्र स्थापित किया किंतु वर्तमान में फ्रांस की सरकार भी लड़खडाने लगी है। पिछले 6 मार्च से फ्रांस की सड़कों पर कोहराम मचा है वहां की जनता सड़कों पर असली है कि वहां की सरकार ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन को समाप्त करने के लिए एक कानून बनाया हुआ है फ्रांस में करोड़ों लोग पेंशनभोगी हैं सरकार का मानना है की पेंशन में खर्च करने से देश के आर्थिक विकास में अंतर आ रहा है इस समय फ्रांस अपने जीडीपी का 14% कर्मचारियों के पेंशन में खर्च कर रहा है इस संबंध में फ्रांस की संसद में पर्याप्त बहस हो चुकी है इसके बाद भी जो कानून बनाया है वह कानून सरकार के विशेषाधिकार का उपयोग करते हुए बनाए गए हैं

बात पैसे की नहीं है बल्कि इजराइल में भी काफी असंतोष है इजराइल के सरकार न्यायपालिका को अपने अधीन करने की योजना बना रही है इसके खिलाफ देशभर के लोकतांत्रिक समर्थक सड़कों पर है उनका मानना है इसराइल भी तानाशाही की तरफ कदम बढ़ा रहा है ऐसे समय में क्या सवाल पैदा हो रहा है क्या दुनिया में लोकतंत्र कमजोर होने लगा है यदि कमजोर होने लगा है तो इसके बदले कौन सी व्यवस्था दुनिया में लागू   होगी

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