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अल्मोड़ा 30 जून मुख्यमन्त्री पुष्कर धामी सरकार के 100 दिन पूरे  हो गये है । बी जे पी ने उन्हें बतौर युवा मुख्यमन्त्री के रूप मे प्रस्तुत किया । इन सौ दिनो के कार्यकाल मे सी एम ने एक उपचुनाव लड़ने के साथ ही विधान सभा में उत्तराखण़्ड राज्य का बजट प्रस्तुत किया ।

काम काज की दृष्ठि से सौ दिन का कार्यकाल कोई ज्यादा नही है । यदि देखा जाय तो उनकी ॊरकार पर उनके पूर्व कार्यकाल की घोषणाओं के साथ ही पूर्व सरकार द्वारा घोषित ग्रीष्म राजधानी गैरसैण मे विधानसभा का सत्र आहुत नही करने से सी एम की आलोचना हुई। बतौर पूर्व मुख्यमन्त्री हरीश रावत ने गैरसैण मे धरना तक दिया । पिछली सरकार के घोषणाओं सहित नये विकास कार्यो को पटरी पर लाना धामी सरकार की बड़ी चुनोतिया है । इस सम्बन्ध मे भा ज पा नेतओं ने पुष्कर धामी की सरकार को सफल बताया है तो वही बिपक्ष ने इस सरकार को असफल सरकार बताया है । विपक्ष के नेता यशपाल आर्या धामी सरकार की आलोचना करते रहते है ।

भारत का संविधान कहता है कि जनता लोकतंत्र में मालिक और उनके द्वारा चुनी गई सरकार और उनके सरकारी कर्मचारी उनके वेतनभोगी सेवक होते हैं। धामी सरकार फिलहाल प्लानिंग स्तर पर सक्रिय नजर आती है । इसके क्या नतीजे है । लोग फिलहाल समय जेने के मूढ मे नजर आ रहे है ।

वही मुख्यमन्त्री पुष्कर धामी ने कहा है कि सौ दिन में हमने राज्य के विकास की वह आधारशिला रखी है, जो 2025 में उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने में मील का पत्थर साबित होगी। इसके लिए विभागों को अगले पांच वर्षों में पर्यटन, पलायन, स्वरोजगार, अवस्थापना विकास समेत प्रदेश की तरक्की से संबंधित क्षेत्रों में किए जाने वाले कार्यों की विस्तृत कार्य योजना तैयार करने को कहा गया है। लगातार समिक्षाये हो रही है ।मुख्यमन्त्री ने आस्वासन दिया कि उन्होंने जनता से जो वायदे किए उन्हें वे पूरा करेंगे। हमारी सरकार के 100 दिन विकास, समर्पण तथा कोशिश कर रहे हैं। उनका जोर चुनाव से पहले जनता से किए गए सभी वादे पूरा करना है जिसके लिये वह कड़ी मेहनत कर रहे है ।

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