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नोयडा मे जब बिल्डिंग बन रही थी , तब वह अबैध नही थी उसे नोइडा विकास प्राधिकरण की मान्यता व मंजूरी थी । निर्माता ने उसे 36 मंजिल बना दिया इसके साथ ही बिल्डिंग अबैध हो गई

।सवाल यह है कि अबैध बिल्डिंग को बनने ही क्यों दिया ?जो तोडनी पड़ी , न्यायालय ने कानून के आलोक मे फैशला दिया । पर विचारणीय बिन्दु यह भी है कि जिन हजारों लोंगो ने अपनी गाड़ी कमाई अपने एक आशियाना पाने की लालच मे इसमे निवेश किया उनका क्या न्याय होगा । जैसा कि कहा जा रहा है कि बिल्डिंग की 13 मंन्जिले अबैथ नही थी , उन तेरह मन्जिल की बुकिंग तो अबैध नही थी.इन प्लेट्स कों बुक कराकर लोगों ने कोई अबैथ काम नही किया जिन लोंगों ने कम से कम तेरह मन्जिलो तक अपने आवास बुक कराये थे उन्हें गलत नही ठहराया जा सकता । सच मे यह केवल बिल्डिंग नही टूटी लोगों के सपने टूट गये । पर टूटे हुने सपने पर भी तमाश बीरों ने जस्न मनाया ।

बिल्डिग बनी व टूट भी गई । आखिर लोग इन महानगरों मे अपना आशियाना ढूढते समय बैध या अबैध के बजाय केवल एक अदद आशियाना पाने का सपना क्यों देखते है । नौकरी के बीच जब कमरे बदलते -बदलते लोग परेशान बोते है तो अपने लिये एक अदद स्थाई आवास ढूढते है । यह मानव की कमजोरी है ,आशियाना तो जानवर भी ढूंढते है । कोर्ट की अपनी मजबूरी थी पर सरकार कोई रास्ता जरूर निकाल सकती थी । यदि बुल्जोडर संस्कृति को यो ही बढावा दिया गया तो एक दिन भारत मे कई शहर गांव यहा तक कि कस्वे भी मलुवे के ढेर में तब्दील हो जायेगे 1962 में जब जमीन की नपाई हुई थी तब देश की आबादी लगभग चालीस करोड रही होगी । बर्तमान मे देश की आबादी 150 करोड़ होने जा रही है जनसंख्या में चार गुना उछाल आ गया उस समय यदि एक घर से काम चल रहा था तो आज कमसे कम चार से अधिक घरों की आवश्यकता है । क्या बाद मे बने चार घरों को तोड दिया जायेगा , यदि ऐसा हुवा तो वे लोग कहां जाईगे जो अमापित या सरकार की जमीन मे बस गये । ये देश के करोड़ो नागरिक भी तो सरकार की जिम्मेदारी है आवास किसी भी ब्यक्ति के लिये जीवन के समान ही जरूरी है पर सोचनीय बात यह है कि उन लोगों की गाडी कमाई उनकी चाहत की ही भेंट चढ गई जो एक अदद आशियाने का सपना देख रहे थे ।

सबसे बडी बिडम्बना यह थी कि जब ट्विन टावर को तोड़ा जा रहा था तब भारत माता की जय के नारे लगे । इन नारों का क्या मतलब था क्या जिन्होंने इस बिल्डिंग मे निवेश किया वे बिदेशी या आक्रान्ता थे । या फिर देश द्रोही देश के नागरिको को भी आवास चाहियॆ ,सरकार ने कोर्ट के आदेश पर ट्विन टावर तो गिरा दिया पर निवेश कर्ताओं को उनका आशियाना तो मिलना ही चाहिये ।

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