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अन्तर्राष्ट्रीय कूटनीति मे श्री लंका पहली बार विफल नही हो रहा । यह गेश जब अंमेरिका की गोग मे बैठने जा पहा था वह दौर शीत युद्ध का गौर था ,अंमेरिका श्री लंका मे अपना सैन्य अड़डा बनाना चाहता था पर ृह सोविृत संघ व भारत के लिृे खतरे की घंटी था श्री लंका मे मूलत: तीन कौमे रहती है जिसमे सिंहली बहुसंख्यक है । मूलत: ये बौद्ध है इनकी आबादी श्रीलंका मे 70.2%के आसपास है । यहां 12.6% जबकि इस्लाम रो मानने वाले 9.7 तथा ईसाई धऱय़प्म के लोगों की आबादी 7.4 है ,
चूंकि श्रीलंका मे सिंहली 70 2%है बोट की राजनीति मे इनका बहुत महत्व है । अपनी अपेक्षा से नाराज तमिल हिन्दुओं ने प्रभाकरन के नेतृत्व मे आन्दोलन कर दिया एक तमिल ईलम् बनाने की योजना बना डाली ।इतना बिद्रोह हुवा कि श्रीलंका सरकार उसे कन्ट्रोल नही कर पाई तब राजीव गांधी को वहा शान्ति सेना भेजनी पड़ी ।
अन्तत: गोटबाया राजपक्षे की सरकार आई इसमे सिंहली राष्ट्रवाद के नाम पर तमिल ब्रिद्रोहियों का सफाया कर दिया । परिणाम स्वरूप लोग राजपक्षे पर अन्धा भरोसा करने लगे । श्रीलंका के विपक्षी दल समाप्त हो गये सत्ता समर्थको ने उन्हे देशद्रोही कहना आरम्भ कर दिया । मनमाने फैसले लिये जाने लगे । परिणाम सबके सामने है । श्रीलंका मे दो हालात है उससे स्पष्ठ है कि यह देश आज सड़को पर आ गया है सत्ता इस बिद्पोह को सभाल बी नही पा रही है ।जनता ने राष्ट्रपति को भागने पर विवस कर दिया है ।इस सब ंे बड़ी बात यह है कि सेना भी अपने नागरिकों के खिलाफ कदम उछाने मे हिचकिता रही है ।
श्रीलंका 1972 पहले सिलौन के नाम से जाना जाता था ।1974 इसका नाम श्रीलंका रखा गया , इस देश का भारत से सास्कृतिक सम्बन्ध है रामायण परिपथ से जोड़नेके लिये , कम से कम पचास स्थल चयनित है । पर ृह अशान्त देश सीमावर्ती देश होने के कारण भारत के लिये भी एक समस्या है । भारत से इसकी दूरी मात्र 34 किलोमीटर है ।