212 total views

आ नो॑ भ॒द्राः क्रत॑वो (ऋग्वेद 1/89/1), (यजुर्वेद 25/14)
.
दे॒वानां॑ भ॒द्रा सु॑म॒तिरृ॑जूय॒तां (ऋग्वेद 1/89/2), (यजुर्वेद 25/15)
.
किसी भी शब्द कोश में ढूँढ लें भद्रा का स्पष्ट अर्थ है कल्याणकारी, हितकारी, सुखकारी |
भद्रा स्वयं पुकार पुकार कर कह रहा है कि ये समय शुभ है लेकिन बहरे कान ज्योतिषी कह रहे हैं अमंगल है |
.
सभी लोगो को यह स्पष्ठ होना चाहिये कि वे अथर्ववेद के मन्त्र में दिये आदेश का पालन करें ………. “अभयं मित्रादभयममित्रादभयं” मन्त्र में दिये उपदेश की बात मानें ……….. डरवाने/डराने वाले ज्योतिषियों से दूर रहें |

वेद  सहित सनातन धर्म मे कही भी भद्रा को अशुभ नही माना गया । पर भद्रा का भय दिखाना ही एक गलत तत्थ्य है । ईश्वर की रचना मे हर दिन शुभ है किन्तु एक रूपता की दृष्ठि से तिथियां नियत की गई है । आजकल ज्योतिष मे कई प्रकार के भ्रम फैलाये जा रहे है जिसमे काल सर्फ दोष , मांगलिक दोष ,अब भद्रा दोष  भद्रा के नाम पर  भ्रम फैलाना नितान्त व्यर्थ की बातें  है । पिछले पांच सात सालों से ही ये भद्रा- भद्रा -भद्रा की चर्चा चलने लगी है। उससे पहले राखी के त्यौहार में भद्रा-भद्रा की बातें नहीं होती थी। और पूरे भारत में पूर्वाह्न वेला में ही राखी के बन्धन स्वीकारे जाते रहे हैं। रक्षा वन्धन श्रावण से है ।पूर्णिमा तिथि है । भद्रा की यह बात पाखंडियों की व्यर्थ के भय विस्तारण की कुचेष्टा है। इसका सत्य से कोई सम्बन्ध नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.