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  सनातन धर्म में ज्योतिष , का तिथि पर्वों  के अनुसार बहुत महत्व है ।   जिसमे 28 नक्षत्र व अमावस्था व पूर्णिमा की तिथियां विशेष महत्व रखती है । इन नक्षत्रों व  पर्वों का बिशेष महत्व है । सामान्यत:   इन दिनों भद्रा ,काल सर्प दोष , राहु दोष ,शनि दोष ,मंगल दोष  बृहस्पति दोष , केतु दोष के नाम पर बड़ा ही बबन्डर मचा रहता है । यही हाल रक्षा बन्धन पर्व पर भी हुवा ।

आज 11सितम्बर को पूर्णिमा का ज्यों ही आरम्भ हुवा ज्योतिषाचार्यो का कहना था कि भद्रा का भी आरम्भ हो गया ।  भद्रा रर सारा विवाद पुराणों की कल्पिंत कथाओं के आधार पर है । ज्योतिष व नेद के अनुसार भद्रा पर कोई विवाद नही है , पुराणों के अनुसार  भद्रा को सूर्य पुत्री मामा गया है , जिसका सम्बन्ध छाया से है ।   वेद मे किसी भी शुभ कार्य मे भद्रा का आह्वान यानि कल्याण की कामना माना जाता है ।

रक्षा बन्धन भी कल्याण का ही बन्धन है । इसी को ध्यान मे रखते हुवे कई लोंगो ने  आज सारी अफवाहों को दरकिनार करते हुवे रक्षा बन्धन पर्व मनाया । आचार्यों ने यजमानों को यज्ञोपवीत प्रदान किये , तथा बहिनों ने भाईयों को पाखियां बांधी ।

जबकि कई लोग जो भ्रमित हो गये वे 12 अगस्त को रक्षा सूत्र ग्रहण करेंगे । इन सैनिक भाईयों को रक्षा सूक्र देते समय बहिनों ने मुहूर्त नही भावनाओं को महत्व दिया

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