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गोपेश्वर 10 जुलाई मेंजोशीमठका नाम सुनते ही इतिहास की वह परते खुलती है जो कत्यूरी राजवंश के पतन व नाथ राजवंश परम्परा का शुभारम्भ भी है । पर इन दिनों विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बद्रीनाथ का निकटवर्ती शहर जोशीमठ भू धसाव की वजह से चर्चा में है । लोग मकानों व दुकानों व सड़को मे आ रही दरारों से परेशान है । दरअसल भू धसाव का यह शिलशिला बिजली परियोजनाओं हेतु खोदी गई सुरंगों व पनबिजली परियोजनाओं के विकास के बाद अचानक बढ गया है । अब जोशीमठ बताओं संघर्ष समिति ने जिलाधिकारी चमोली के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन के साथ सर्वेक्षण रिपोर्ट भी सौंपी । जिसमें समिति के सदस्यों ने कहा है कि 2021 के नवम्बर माह के अंतिम सप्ताह से जोशीमठ के घर मकानों में आ रही व निरन्तर बढ़ रही दरारों व सम्पूर्ण जोशीमठ में हो रहे भू स्खलन व भू धंसाव के संदर्भ में सरकार से हमने उच्चस्तरीय कमेटी गठन कर व्यापक सर्वेक्षण करने व इस सर्वेक्षण के माध्यम से क्षेत्र के स्थायीकरण के लिए दीर्घकालिक समाधान ढूंढने की मांग की थी ।

किन्तु जब सरकार ने इस पर कार्यवाही नहीं कि तो जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति की ओर से हमने देश के स्वतंत्र वैज्ञानिकों से सर्वेक्षण करने का आग्रह किया । जिस पर वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ नवीन जुयाल डॉ एस पी सती व डॉ शुभ्रा शर्मा ने जून प्रथम सप्ताह में सर्वेक्षण के उपरांत जून अंतिम सप्ताह में सर्वेक्षण की रिपोर्ट संघर्ष समिति को सौंप दी थी ।
समिति ने गोपेश्वर में जिलाधिकारी के माध्यम से रिपोर्ट सरकार को कार्यवाही हेतु देते हुए पत्रकार वार्ता में रिपोर्ट को व उसके तथ्यों को सार्वजनिक किया । रिपोर्ट में जोशीमठ में हो रही इस परिघटना के कारणों व समाधान के संदर्भ में वैज्ञानिकों के अन्वेषण विश्लेषण खोज को आज पत्रकारों के सम्मुख विस्तार से रखा । संघर्ष समिति ने वैज्ञानिकों द्वारा अनुसंधान के उपरान्त तैयार की गई रिपोर्ट के तत्थ्यों के आधार पर जोशिमठ पुनर्वास पर सरकार कार्ययोजना बनाने की मांग की है ।

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