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अल्मोड़ा 2 जुलाई , उत्तराखण्ड़ प्रदेश मे कई सरकारी ,व बित्तीय मान्यता वाले स्कूल बन्दी के कगार पर पहुच गये है । जबकि दिल्ली सरकार सरकारी स्कूलों की सफलताओं की गाथा गा रही है । निजि स्कूलों मे पढाई जाने वाली अंग्रेजी अभिवाहकों के आकर्षण की प्रमुख वजह है । तो वही सरकारी स्कूलों के अध्यापकों की पढाई के प्रति लापरवाही ,के कारण शिक्षको की क्लास मोनिटरिंग की कोई ब्यवस्था ना होना है। एक ऐसा वातावरण जिसंमें किसी की जबाबदेही नही होने से स्कूल बन्दी के कगार पर आ गये है । इस सब का खामियाजा तदर्थ शिक्षकों को तो भुगतना ही पड़ेगा ये शिक्षक इस बात से बेखबर लगते है ।आने वाली पीढी के लिये भी सरकारी रोजगार के अवसर कम हो जाइगे । अब एकल बिद्यालयों में छात्र संख्या घट रही है जबकि सहशिक्षा वाले स्कूल औसत छात्र संख्या के सहारे चल रहे है ।

सरकारी बिद्यालयों मे यद्यपि जागरूक शिक्षक आ रहे है पर स्कूलों की मानिटरिंग नही होने से पढाने वाले शिक्षक भी हतोत्साहित हो रहे है। क्योकिं पढाने वाले व ना पढाने वाले शिक्षकों में कोई भेद नही है ।

अल्मोड़ा नगर किसी जमाने में अपने उत्कृष्ठ शिक्षकों की वजह से शिक्षा का हब था । रामजे इण्टर कालेज में कौमर्स बिषय की मारामारी रहती थी रामजे से पढे कई छात्र देश के कई बित्तीय संस्थानों मे अच्छा काम कर रहे है । रा ई का अल्मोड़ा में तो प्रवेश लेना ही कठिन था । अल्मोड़ा इन्टर कालेज अल्मोडा मेशहरी बच्चों के साथ ग्रामीण बच्चों को आसानी से प्रवेश मिल जाता था। इस स्कूल मे पढाने वाले अध्यापकों मे अम्बादत्त पन्त ,नीलाम्बर जोशी ,जगंमोहन लाल साह नन्द किशोर पन्त , जगदीश चन्द्र जोशी , नवीन चन्द्र जोशी खीम सिंह बिष्ट आदि के नाम प्रमुख है पुराने छात्र बताते है कि ये सब लोग पढाने के मामले मे जुनूनी अध्यापक ही नही रहे बल्कि अच्छे प्रधानाचार्य भी रहे । डा़0 मदन मोहन साह को तो पढाने का जुनून था कैमस्ट्री मे विशेष अध्ययन करने के लिये बच्चे इस स्कूल में प्रवेश के लिये लालायित रहते थे । दर्शन लाल साह का कार्यकाल कोरोना की भेंट चढ गया । राजकीय इन्टर कालेज के प्रधानाचार्य जिला शिक्षाधिकारी की तरह सम्मान पाते रहे । यहां के प्रधानाचार्य भी छात्रों मे बिशेष अनुशासन के लिये जाने जाते रहे बीच के कुछ वर्षो मे यह शिक्षक नेताओं का आरामगाह बन गया था पर अब फिर से पटरी पर लौट रहा है ।

वर्तमान में सभी स्कूलों में छात्र संख्या कम हो रही है । इसका कारण बड़ी संख्या मे खुल रहे निजि स्कूल है ।अब कक्षा आठ तक आसानी से स्कूलों को मान्यता मिल रही है। सरकारी शिक्षक तो अपडेट होते रहते है पर सहायता प्राप्त अध्यापकों के लिये ट्रेनिंग की कोई ब्यवस्था भी नही है ।निजि स्कूल तो शिक्षा की प्रयोगशालाये है । ऐसे समय मे सरकार ने कुछ स्कूलों को बचाने का बीड़ा उठाया है । हर विकास खण्ड़ मे कम से कम एक अटल आदर्श बिद्यालय खोला गया है कुछ और स्कूलो को अपग्रेट करने की योजना भी है । जी आई सी अल्मोड़ा भी इसी श्रेणि का बिद्यालय है । अब ये हिन्दी अंग्रेजी दोनो माध्यमो मे शिक्षा दे रहा है । यहां सह शिक्षा भी लागू हो गई है अब बालिकायें भी प्रवेश ले रही है । जिस कारण नगर के अल्मोड़ा इन्टर कालेज अल्मोड़ा व रैमजे मे भी आधुनिकीकरण के लिये दवाव है। रैमजे अल्पसंख्यक श्रेणि का बिद्यालय है ।जबकि अल्मोड़ा इन्टर कालेज अल्मोड़े को यह सुविधा नही है । यदि वक्त रहते हुवे प्रवन्धन ने आधुनिकीकरण पर ध्यान नही दिया तो बिद्यालय के भविष्य पर संकट के बादल होंगे ।

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