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गुजरात के एक निचली अदालत द्वारा मानहानि के एक केश में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 2 साल की सजा होने के बाद देश में राजनीति की समीकरण बदलने लगे हैं इस सजा के बाद समूचे विपक्ष में एकजुटता देखी जा रही है यह बी जे पी के लिये मुस्किल पैदा कर सकती । देश में लगभग सभी विपक्षी पार्टियां राहुल गांधी के सजा के प्रति सहानुभूति रखते हुए ,राहुल गांधी के पक्ष में एकजुट हो रहे हैं,” जिससे कांग्रेस पार्टी समेत विपक्ष मेंयह संदेश गया है की केंद्र की मोदी सरकार देश में विपक्ष को समाप्त करने पर तुली हुई है। अब 2024 के चुनाव में विपक्ष मोदी सरकार को सबक सिखाने के लिए एकजुट होने का प्रयास कर रहा है। इसी श्रृंखला में यह संकेत मिलने लगे हैं की संयुक्त विपक्ष के प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर मलिकार्जुन खरगे पर सहमति बन सकती है। मलिकार्जुन खड़गे देश के दलित समाज से आते है,इन दिनों देश में दलित व ओ बी सी संगठनों मे यह प्रबल भावना है कि देश का प्रधानमन्त्री कोई संवर्ण नही बल्कि दलित या ओ बी सी होना चाहिये । यद्यपि प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को ओ बी सी वर्ग से जाना जाता है पर दलित या ओ बी सी जातिया मोदी उप जाति को ओ बी सी मानने को तैयार नही है ।
कांग्रेस पार्टी व समूचा विपक्ष, ओबीसी व दलित समुदाय की जन भावनाओं को 2024 के चुनाव में भुनाने की योजना पर विचार कर सकती है। जिससे बीजेपी में खलबली मचनी स्वभाविक है। देश में जिस प्रकार बी जे पी ने दलित आदिवासी वर्ग से राष्ट्रपति , बनाकर इस वर्ग का हितैसी सावित करने की कोशिस की ।अब राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता छिन जाने के बाद बी जे पी का गांधी परिवार के विरोध के नाम पर बोट मांगने की परम्परावादी सोच पर रोक तो लगेगी ही यह काग्रेस नीत बिपक्षी पार्टियों का सरकार पर एक राजनैतिक प्रहार भी होगा । अब बी जे पी को यह समझ में आ रहा है , कि वह जितना राहुल गांधी पर राजनैतिक प्रहार कर रही है ,उतना ही काग्रेस व राहुल गांधी ही नही विपक्षी पार्टियों का गढबन्धन भी मजबूत हो रहा है ,अब भा ज पा चाहती है कि राहुल गांधी अपनी सजा के खिलाफ अपील करे पर राहुल गांधी चाहते है कि वह कुछ दिन इन्तजार करें , वे अपनी सजा के खिलाफ अपील करने मे जितना बिलम्ब करेंगे , उतना ही अधिक सत्ता से सवाल भी पूछे जायेगे । खड़के को पी एम का उम्मीदवार बनाकर वह एक तीर से कई निशाने साध सकते है ।