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देहरादून आर्य प्रतिनिधि सभा उत्तराखण्ड़ का द्विवार्षिक चुनाव रविवार पांच मार्च को आर्य समाज सुभाषनगर देहरादून मे सम्पन्न हुवे , इस चुनाव मे आअगले दो वर्षों के लिये डा .विश्वमित्र शास्त्री ने जहां प्रधान पद पर कार्यभार ग्रहण किया वही सभा के उप प्रधान पद पर शत्रुघन मोर्य निर्वाचित हुवे शत्रुघन मौर्य न्यायालयों मे चल रहे वाद प्रतिवाद भी देखेंगे ।.इसके अलावा आगामी वर्षों के लिये श्री प्रेम प्रकाश शर्मा को छाया सत्र का प्रधान चुना गया ।
इससे पूर्व , सभा के निवर्तमान प्रधान मनपाल सिंह राठी ने अपने कार्यकाल पर विस्तृत प्रकाश डाला तथा सभी का आभार ब्यक्त किया निवर्तमान मन्त्री शत्रुघन मौर्य ने सभा की पिछले दो वर्षों के कार्यकाल पर प्रकाश डाला ।
इस अवसर पर आयोजित जनसभा मे पूर्व प्रधान गोविन्द भण्ड़ारी ने कहा कि कोई भी संगठन सहअस्तित्व तथा आपसी विस्वास के आधार पर मजबूत होते है , हमें आलोचनाओं से नही डरना चाहिये आलोचनाओं से तो महर्षी दयानन्द भी नही बचे पर जब तक जीवित रहे काम करते रहे । पूर्व मन्त्री दयाकृष्ण काण्डपाल ने कहा कि यद्यपि आज के समय मे सब पढे – लिखे लोग है इसके बाद भी वेद पढना ,पढाना यज्ञ करना , व कराना सबके बस की बात नही है , बिद्वानों की समाज मे हमेशा जरूरत होती है। आर्य समाज में यज्ञ करना व कराना सिखाया तो जाता है पर सृद्धा जगाने के लिये यज्ञ के नियमों का पालन भी जरूरी है । पहली बार यज्ञ के लिये प्रेरित होता हुवा यजमान ना तो वेद मन्त्र पढना जानता है ना ही यज्ञ करना , ऐसे मे उसे आर्य समाज मे प्रेम व सम्मान पूर्वक कैसे जोड़ा जाय इस पर विचार होना चाहिये उन्होंने कहा कि जो लोग रोज यज्ञ प्रार्थना मे कहते है कि भाव उज्जवल कीजिये , उनमें से कई लोगो के भाव इतने खराब है कि वह आर्य समाज के प्रचारकों को काम करने से रोकने के लिये , तमाम तरह के अवरोध खड़ा कर देते है , कार्यकर्ताओं को मुकदमों में फँसाना ,लांछन लगा देना , बल प्रयोग करना , आर्य समाजों मे ताले लगाना आर्यों को आर्य समाजों मे शरण ना देना ,सम्पत्तियों को खुर्द -बुर्द करना ,अपने आप को केवल यज्ञ तक ही सिमित कर देना , समाज के पदाधिकारी होने के बाद भी सामाजिक उत्तरदायित्वों से मुंह मोड़ लेना ये तथा कथित आर्यों के दोष है, बहुत से लोग अपना सदस्यता शुल्क तक नही देते पर पदाधिकारी बनने के लिये तिकड़म बिठाते है । ऐसे कई लोग है जो आर्य समाजों मे रहकर वैदिक प्रचार , गौ संरक्षण , सर्वहित कर्म वेद का सुनना सुनाना व पढने पढाने के कार्य से विमुख है ।
निर्वाचन के बाद अस्तित्व में आये प्रधान डा. विश्वमित्र शास्त्री मे कहा कि उन्हे उम्मीद है कि सबके सहयोग से वह समाज के काम को आगे बढा पाईगे ।




