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मणिपुर के हालात बेहद खतरनाक हो गये है यहा जातीय हिंसा के कारण हजारें लोग पलायन के लिये बाध्य हो गये है । हिंसा के कारण आम जन जीवन अस्त ब्यस्त हो गया है , सेना व अर्धसैनिक बलों ने हजारो लोगो को सुरक्षित स्थानो मे भेज दिया है ,, लोग दहशत के माहौल मे दिन बिता रहे है। मणिपुर में उत्तर भारत से कई छात्र बी टैक कर रहे है उनमे से कई छात्र सुरक्षित लौट भी आये है । उत्तराखण्ड सरकार भी अपने राज्य से मणिपुर मे रह रहे लोगो को सुरक्षित निकाल रही है।
देश में राजनीतिक दल जिस प्रकार से अपने वोट बैंक के लिए जातीय उन्माद फैला रहे हैं इसके नतीजे कितने गंभीर हो सकते हैं ।इसे मणिपुर की हालातों को देखते हुए समझा जा सकता है। जातीय हिंसा के कारण आज मणिपुर बेहद गंभीर संकट में पड़ गया है स्थानीय लोग एक दूसरे पर प्राणघातक हमला कर रहे हैं ।सेना को बीच बचाव के लिए मोर्चा संभालना पड़ा है वर्तमान में राजकीय सेवा में नौकरियों की संख्या सीमित होती जा रही है और सरकारी नौकरियां पाने के लिए आरक्षित जातियों की संख्या बढ़ती जा रही है ।मणिपुर में भी यहां की मैतेय जनजाति इस बात से परेशान है कि पहाड़ी इलाकों में जमीन खरीदने की अनुमति नहीं है न ही सरकारी रोजगार मे उनको आदिवासी होने का दर्जा प्राप्त है, इसी उधेड़बुन में वहां एक बड़ा आंदोलन हो गया है जिसकी चपेट में मणिपुर के 8 जनपद आ गए हैं इन जनपदों में मणिपुर की 40% आबादी रहती है और वह सामान्य जाति का दर्जा प्राप्त है यह अपने आप को आदिवासी मानते हैं और सरकार से मांग कर रहे हैं आदिवासी होने का दर्जा दिया जाए

बिसौली कोतवाली क्षेत्र के गांव अजनावर के रहने वाले रमेश का पुत्र अनुज मणिपुर के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सेंटर में बीटेक प्रथम वर्ष का छात्र है। दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे अनुज से फोन पर बात की गई तो उसने बताया कि तीन मई को वह कॉलेज में था। इसी दौरान दोपहर 12 बजे कॉलेज प्रबंधन ने सभी छात्रों को जानकारी दी कि हिंसा भड़क गई है। सभी छात्र हॉस्टल पहुंच जाएं। वह हॉस्टल में अपने रूम पर पहुंचा। शाम को खिड़की से झांककर देखा तो चारों ओर आगजनी हो रही थी।

दंगाई वाहनों में तोड़फोड़ और आगजनी कर रहे थे। हॉस्टल में सभी छात्र दहशत में थे। हालांकि इस दौरान कॉलेज प्रबंधन की ओर से सभी को नियमित खाना दिया जा रहा था, लेकिन हॉस्टल के बाहर का दृश्य भयाभय था। मंगलवार को सरकार की ओर से बस भेजी गई, वहां से वह एयरपोर्ट पहुंचा, जहां से रात दस बजे दिल्ली पहुंचा। बुधवार को वो अपने घर पहुंचा। इसके बाद परिजनों ने राहत की सांस ली।

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