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मुंबई आईआईटी में एक होनहार छात्र ने आत्महत्या कर ली यह समाचार आते ही कई संगठनों में आंदोलन की होड़ मची यह एंगिल ढूंढा जाने लगा कि छात्र किसी सवर्ण जातिवादी मानसिकता का शिकार रहा होगा ,तमाम दलित संगठन आंदोलन के लिए खड़े हुए परंतु यह क्या ?,इस छात्र का उत्पीड़न ना तो किसी सवर्ण छात्र ने किया था और ना ही किसी सवर्ण प्रोफेसर ने यद्यपि किसी को शिक्षक के सभी छात्र तो सारी योजनाये धरी की धरी रह गई । जैसे वामपंथी आंदोलनों के शुरुवाती दिनों में हर कोई पूंजीपति वामपंथी नेताओं को लुटेरा नजर आता था ठीक उसी प्रकार से आज के समय में हर सवर्ण में दलित नेताओं को जातिवादी मानसिकता ही नजर आती है ,किंतु कोई यह नहीं बताता कि वह स्वयं किस मानसिकता से ग्रसित है जातियां एक मानसिकता के अलावा और कुछ नहीं है और मानसिकता को छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं है । आत्महत्या करने वाले छात्र का नाम दर्शन सोलंकी था दर्शन सोलंकी एक होनहार छात्र था पढ़ाई में हमेशा अच्छा प्रदर्शन करता था इसके बावजूद भी उसे आत्महत्या करनी पड़ी क्योंकि बताया जा रहा है कि उसे शिकायत पर नियमानुसार हास्टल छोडना पड़ा था ।।इसके पीछे क्या कारण थे यह जानने के बजाय वामपंथी वह दलित संगठन उसमें जातिय सवर्ण ऐगिल ढूढने लगे। देश में हालत हालात ऐसे हैं एक दलित को दूसरे दलित का उत्पीड़न करने का पूरा अधिकार है कोई दलित किसी सवर्ण का उत्पीड़न भी कर सकता ह किंतु दर्शन सोलंकी का उत्पादन करने वाला उसका ही एक मुस्लिम मित्रथा । सुखी हो तो 10 करता एक के मुस्लिम मित्र था इसीलिए आंदोलनकारी समूह ने आंदोलन न करने का फैसला लिया इस देश में किसका साथ देना है किसका नहीं इसका निर्णय भी पीड़ित को देखकर यदि जाति को देखकर होने लगेगा तब दर्शन सोलंकी जैसे होनहार को युवकों न्याय. कैसे मिलेगा? यह सोचने की बात है
https://www.bbc.com/hindi/india-64871449