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अल्मोड़ा अपने साहित्यकारों की बदौलत हिन्दी जगत मे अपना प्रमुख स्थान  रखता है ।  अभी 10अगस्त को साहित्यकार बलवन्त मनराल का भावपूर्ण  स्मरण हुवा तो कुछ सवाल उपजे जिसमे एक बलवन्त मनराल की स्मृति मे  एक साहित्यिक समिति के गठन का प्रस्ताव ही नही हुवा , अपितु इसे मूर्त रूप भी दिया गया ।  इस संगोष्ठी मे  पालिकाध्यक्ष प्रकाश चन्द्र जोशी का यह कथन महत्वपूर्ण था कि अल्मोड़ा में  जियारानी  छात्रावास में बलवन्त मनराल का योगदान था वे एक जाने माने साहित्यकार थे ।

  अल्मोडा़ की चेतना में  गौर्दा से लेकर गिर्दा तक जिसमे बृजेन्द्र लाल साह मोहन उप्रेती,  बालम सिह जनौटी भी अविष्मरणीय है, ये वे लोग है जो अब नही है , पर कुछ लोग अभी भी   स्थानीय लोक साहित्य मे अपना महत्वपूर्ण योगदान रखते है, जिन्हे आप सब जानते ही है ।वही  राष्ट्रीय पटल  पर  हिन्दी साहित्य में शिवानी , गोविन्द बल्लभ पन्त ,  सुमित्रानन्दन पन्त  शैलेश मटियानी, बलवन्त मनराल शेर सिंह बिष्ट इतिहास कारो मे बद्री दत्त पाण्डे , यमुनादत्त बैष्णव नित्यानन्द मिश्रा आदि लोग है    ,पत्रकारिता मे शक्ति के संम्पादको की श्रंखला ,  व परम्परा , स्वाधीन प्रजा , समता के साथ ही कई ज्ञान व अज्ञात पत्र व पत्रिकाये है । ऐतिहासिक भूमिका मे है ।

ये सब जानकारियां पर्यटन व लोक चेतना के लिये  बहुत ही आवश्यक है ।  कुमाऊ राज्य पर मोटी -मोटी जानकारिृा है पर  व कत्यूरी साम्राज्य पर यद्यपि ज्यादा जानकारी नही है पर बलवन्त ंमननाल जयन्ती  इस पहलू को  याद किया गया कत्यूरी साम्राज्य के जड़े बृहद नेपाल व एक बड़े भू भाग में मौजूद है । बलवन्त मनराल ना केवल साहित्ृ पर अपितु कत्यूरियो के इस पहलू पर भी प्रकाश डालते थे ।

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