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आर्य जगत की एक बिभूति भारतीय पत्रकारिता जगत के चमकते नक्षत्र वेद प्रताप वैदिक के निधन से पत्रकारिता जगत व आर्य जगत मे शोक ब्याप्त है ।वह करीब 78 साल के थे। बताया गया है कि मंगलवार सुबह वे नहाने गए थे, लेकिन काफी देर तक बाहर नहीं आए। सुबह करीब साढ़े नौ बजे परिवार के लोगों ने दरवाजा तोड़ा, तब वे अंदर बेसुध मिले। इसके बाद उन्हें घर के पास स्थित प्रतीक्षा अस्पताल ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने बताया कि उनका निधन काफी देर पहले ही हो चुका है
कल शाम चार बजे होगा अंतिम संस्कार
परिवारिक सूत्रों ने बताया कि उनका अन्तिम संस्कार बुधवार को एक बजे होंगा उनका पार्थिव शरीर सुबह नौ बजे से एक बजे तक अंतिम दर्शन के लिए उनके निवास स्थान गुरुग्राम (242, सेक्टर 55) में रखा जाएगा। उनका अंतिम संस्कार लोधी क्रेमेटोरियम, नई दिल्ली में बुधवार शाम चार बजे होगा।
ड़ा वेद प्रताप वैदिक पत्रकारिता के क्षेत्र मे एक जाने माने स्याति प्राप्त सख्सियत थे । उन्होंने हिंदी के क्षेत्र में लंबे समय तक काम किया
डॉ. वेद प्रताप वैदिक पत्रकारिता ने पत्रकारिता में राजनीतिक चिंतन, अंतरराष्ट्रीय राजनीति, और हिंदी के क्षेत्र में लंबे समय तक काम किया। उनका जन्म 30 दिसंबर 1944 को इंदौर में हुआ था। अंतरराष्ट्रीय मामलों में जानकार होने के साथ ही उनकी रुसी, फारसी, जर्मन और संस्कृत भाषा पर पकड़ रही। डॉ. वैदिक नेे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के ‘स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज’ से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। वे भारत के ऐसे पहले विद्वान हैं, जिन्होंने अपना अंतरराष्ट्रीय राजनीति का शोध-ग्रंथ हिंदी में लिखा। उन्होंने अपनी पीएचडी के शोधकार्य के दौरान न्यूयॉर्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी, मॉस्को के ‘इंस्तीतूते नरोदोव आजी’, लंदन के ‘स्कूल ऑफ ओरिंयटल एंड अफ्रीकन स्टडीज़’ और अफगानिस्तान के काबुल विश्वविद्यालय में अध्ययन और शोध किया।
डा वेद प्रताप वैदिक कई बड़े मीडिया संस्थानों में रहे- संपादक
वेदप्रताप वैदिक ने करीब 10 वर्षों तक पीटीआई-भाषा (हिन्दी समाचार समिति) के संस्थापक-संपादक के तौर पर जिम्मेदारी संभाली। इससे पहले वे नवभारत टाइम्स के संपादक (विचारक) रहे। बीते कुछ समय में उनके लेख अलग-अलग समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहे हैं।
डा वेद प्रताप वैदिक आर्य जगत की गतिविधियों मे सक्रियता के साथ जुड़े रहे आर्य समाज के कार्यक्रमों मे उनकी बढ-चढ कर भागीदारी होती रही वे आर्य समाज मे संघ व आर्य समाज के बीच सेतु का काम करते रहे पूर्व प्रधानमन्त्री इन्दिरा गांधी , राहुल गांधी व अटल विहारी बाजपेयी के साथ उनकी नजदीरिया , विदेश मामलों में कुटनीतिक समन्यवय भी ववैदिक करते रहे , वे स्वामी अग्निनेश के साथ ही आर्य समाज के दूसरे धड़ों के के साथ भी उनका बराबर का सम्बन्ध रहा अग्निवेश की सभाओं मे उमकी उपस्तिखि रे कारण वे अक्सर स्वामी अग्निवेश बिरोधियों की आलोचको के निशाने पर आ जाते थे । आर्य प्रतिनिधि सभा उत्तराखण्ड़ के निवर्तमान मन्त्री दयाकृष्ण काण्डपाल ने उनके निधन पर सभा री ओर से गहरा शोक ब्यक्त किया है तथा इसे आर्य जगत की अपूर्णीय क्षति बताया है ।