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यह बहुत ही आश्चर्यजनक है कि पहाड़ों में पहाड़ों में मजारों के नाम पर बहुत सारी जमीनों पर इन दिनों अतिक्रमण का किया जा रहा है ,दरअसल , इसके पीछे उन लोगों का भी सहयोग है जो लोग भूत- प्रेत पर यकीन करते हैं ,वे ही इस प्रकार की अवैध गतिविधियों में पीर वह बाबाओं की मदद भी करते हैं, यह मामला जब मुख्यमंत्री सीएम धामी के संज्ञान में आया तो उन्होंने खटीमा में कहा कि उत्तराखंड में मजारों के नाम पर जमीनों में अतिक्रमण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा उन्होंने ऐसे अतिक्रमण को चिन्हित करने के निर्देश दिये है । दर असल उत्तराखण्ड़ एक आध्यात्मिक प्रदेश है यहां हिन्दुओं के चार धाम मौजूद है , इसके साथ ही पहाड़ों के लोग भूत प्रेत व जिन्न मे भी भरोसा करते है कई लोगों की मान्यता है कि जिन्न या भूत – प्रेत केवल मुस्लिम फकीरों से डरते है , यह अवधारणा सताब्दी पुरानी अवधारणा है इसी लिये लोग इन मजारो के सूफियों के पास जाते है , व मजारों के निर्माण मे सहयोग भी करते है , यह मजारे एक समय के बाद मस्जिदों मे बदल जाती है उसके चारों ओर इस्वामिक मान्यताओं के अनुसार नमाज फिर मस्जिदों का निर्माण भी होता बै वख्फ बोर्ड इनकी पैरवी करता है वख्फ बोर्ड को यह अधिकार है कि वह किसी भी सम्पत्ति को वख्प संम्पत्ति घोषित कर सकता है । अब अबैध मजारों पर सी एम के बयान के बाद कुछ लोग मन्दिरों पर भी सवाल उठा रहे है जबकि मन्दिरों के नाम पर पहाड़ों में जंगलो के संरक्षण की मनोबृति भी है