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पाकिस्तान 70 साल के इतिहास मे दूसरी बार अस्थिर हुवा है , इस देश का अस्तित्व ही भारत व सनातन धर्म के विरोध पर टिका है , । 14 अगस्त 1947 को जब अंग्रेजों मे पाकिस्तान बनाया तो इसे बनाने का मकसद सोवियत संघ के साम्यवादी विचारधारा के प्रवाह को रोकने के साथ -साथ , नास्तिक विचारधारा के खिलाफ मुस्लिम -आस्तिकता का उभार पैदा करना था , ब्रिटेन , अमेरिकी गठबन्धन अपने इस उद्देश्य मे सफल भी हुवा । अमेरिका -ब्रिटेन के इस उद्देश्य की पूर्ति भी हुई , बिना युद्ध लडे ही सोवियत संघ 1990 के दशक में बिखर गया सोवियत संघ से अलग हुवे कुछ देश ईस्लामिक देश बन गये । , वामपन्थ अब केवल आन्दोलनों मे ही सशक्त दिखाई देता है उनकी सरकारे दुनिया भर मे या तो एक -एक कर बिखर गई या फिर तानाशाही की तरफ अग्रसर हो गई है , क्योंकि साम्यवाद एक सोच है जिसे नैतिक आधार पर स्थापित किया जा सकता है , बल पूर्वक लागू नही किया जा सकता । क्योंकि वैज्ञानिक रूप से जैव विविधता तथा अनन्त गुणों का भेद प्रकृति का नियम है ।

पाकिस्तान जल रहा है , इसका प्रमुख कारण य़ह है कि यह देश किसी आर्थिक ढांचे के आधार पर नही कुरान के आधार पर बना है , कुरान मे विविध विचारधाराओं के लिये कोई स्थान नही है । ईस्लामिक विचारधारा आरम्भ मे खलिफाओं की लूट , सूफियों केआध्यात्म से तब तक आगे बढी जबतक इसने विविधताओं का सम्मान किया , जब से यह डिग्रीधारी मुल्ला मौलवियों के हाथो की कठपुतली बना तब से अल्ला व पैगम्बर मुहम्मद के नाम पर कई इस्लामिक जेहादी समुह अस्तित्व मे आ गये दुनिया इन उग्रवादी समुहों के नाजायज हमलों से कराह उठी अरब मे तो तेल की अर्थब्यवस्था से सम्पन्नता बढी पर तेल ने अरब देशो को इस्लाम के ही नाम पर अस्थिर भी किया ।

पाकिस्तान ने भारत से जितने भी युद्ध किये उनका उद्देश्य पाकिस्तान की तरक्की नही बल्कि धार्मिक विरोध , कट्टरता ही प्रमुख उद्देश्य था , किसी भी मनुष्य का स्वभाव एक ही जगह स्थिर रहना नही अपितु नया खोजना भी होता है । केवल एक ही पुस्तक व एक ही विचारधारा दुनिया का मार्ददर्शन नही कर सकती , बल्कि विकास के लिये आध्यात्मिक विकास मे रुचि व जिज्ञासा का प्रमुख स्थान है , सनातन धर्म मे बिना किसी से विवाद किये आप कोई भी पुस्तक विचार अपना सकते है आस्तिक होकर भी व नास्तिक होकर भी आप सनातनी हो सकते है ।

आज पाकिस्तान के जो हालात है उसके प्रमुख कारण आर्थिक विकास की अवहेलना व कुरान की विचारधारा में पाकिस्तानियों की ज्यादा रुचि का ही परिणाम है , धर्म नैतिकता सिखाता है पर किसी को रोजगार देना, रोजगार की नीति बनाना धर्म का संस्कार व सरकारों का काम है , पर पाकिस्कान की सरकारों ने यह काम नही किया, यह देश उधार या भारत विरोध के नाम पर इस देश को जो भी अमेरिकी , व इस्लामिक देशों से अनुदान मिलता रहा यह देश उसी से चलता रहा वहा के नेता अपनी तिजोरिया भरते रहे ।

जैसे मुगल काल मे सुल्तानों का हमदर्द बनने के लिये मन्दिरो पर हमले , हिन्दुओं की पुस्तकों मे मिलावट जरूरी था उदाहरण के लिये अल्लाहोपनिषद लिखकर जनमानस मे यह प्रचार किया गया कि भविष्य का धर्म इस्लाम ही है , भनिष्य पुराण विखकर अव्लाह की महिमा का गुणगान किया गया , वैसे ही आज के पाकिस्तान मे कुरान पढकर मुल्ला की डिग्री लेकर बड़ा मौलवी बन जाना लाखो मुसलमानो को हरे झन्ड़े के नीचे लाकर खलीफा राज व तानाशाही लाद देना एक परम्परा बन गई है । हालांकि आज के समय मे अब यह विचार वहा भी काम नही कर रहा , पाकिस्तानी युवक भी दुनिया मे आगे बढना चाहता है ।

हालांकि इन दिनों भारत मे भी यही दिखाई दे रहा है ,लाखो लोग धर्मिक सभाओ मे जाकर चमत्कार की उम्मीद लगाये बैठे है , फिर भी सनातन धर्म के सर्वोच्च आचार्य शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द का यह कथन भी महत्वपूर्ण है कि किसी मनुष्य में चमत्कार की शक्ति नही है , यदि है को वह जोशीमठ के भू *धसाव को क्यों नही रोक देते कही ना कही सनातन मे कर्म का बिचार अब भी गतिमान है ।

पाकिस्तान की जब कल्पना की गई थी तब ही यह सोच लिया गया कि यह प्राकृतिक विभाजन नही है , नेहरू लियाकत सन्धि मे इस बैमनस्य को दूर करने के सूत्र भी थे पर बाहरी हस्तक्षेप से यह नही हुवा। पाकिस्तान को फुटबाल की तरह उछाला जाता रहा , 1971ं मेयह बिखर कर दो भागों मे बट गया , पाकिस्तान मे यही हालात एक बार फिर से 2023 मे भी बने है , जब वहा के पूर्व प्रघानमन्त्री मशहूर क्रिकेटर , तहरीर ए पाकिस्तान के नेता इमरान खान को देल मे डाल दिया गया है । पिछले दो दिमों से पारिल्तान जल रहा है , ।फिलहाल पाकिस्तान कू टुटन विश्व समुदाय के हित मे नही है अत: विश्व विरादरी यह कोशिस करती रहेगी कि कमजोर पाकिस्तान बना रहे ।

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