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पिछले एक साल की समयावधि  मे कम से 12 काण्ड ऐसे हुवे जिसमे महिलायें अपने पतियों को छोड़कर  अपने फौन फैन्ड के साथ भाग गई ।जब इस संबन्ध  में जानकारी  की गई तो पता चला कि सामान्यत; भागी हुई महिलाओं के पति ना तो शराब पीते थे ना  ही उनके उत्पीड़न की खबरे गांवो मे चर्चित थी ।, फिर केवल फौन काल पर हुई कुछ दिनों की  दोस्ती इतनी परवान कैसे चढ गई कि इन महिलाओं को अपनी  सामाजिक प्रतिष्ठा का भी ध्यान नही रहा । यदि हम नाबालिक या बालिग बालिकाओं की बात करें तो उनसे गलती हो सकती है यदि शादीशुदा महिलाओं की बात करें तो वे इतना बड़ा कदम क्यों उठा लेती है यह एक मनोवैज्ञानिक  समस्या है ।

पिछले एक वर्ष के दौरान जनपद के कुछ तहसीलों की घटनाओं को  ही यदि याद करें तो जहां एक दर्जन मे से अधिकांश महिलायें   केवल फौन फैन्ड के साथ भाग गई वही कुछ महिलाये फेरी वालों के साथ भी भागी है। ये घर से अकेले ही नही भागी कुछ तो जेवर व रुपये पैसों  को लेकर भी भाग गई । कहानीएक ऐसी महिला की है जो अपने फौन फेन्ड के  बताये पते पर   पहुंची तो  फौन फैन्ड उसे लेने ही नही आया मोबाईल स्विच आंफ कर दिया   फिर वह जाये को कहां जाये धोवी का कुत्ता ना घर का ना घाट का कुछेक मामलो में  फौन फैन्ड महिला को  मिला भी कुछ दिन साथ भी रहा फिर अचानक एक दिन गायब हो गया महिला करे तो क्या करे कहा जाये  रोने  धोने के  अलावा  एक ही बिकल्प बचता है कि वह थाने मे रिपोर्ट करें  कई बार परदेश में कोई मददगार भी नही होता , ऐसे ही एक मामले में  एक घर से भागी महिला  को अपनी गलती का एहसास तब हुवा जब वह  घर से तो भाग गई ,पर जिस फौन फैन्ड के सहारे भागी वह झोपड़ी नुमा घर मे रहने वाला आंख का काँडा  निकला ,महिला के पैरों से जमीन खिसक गई । वह अपने अलीशान घर को छोडकर उससे भी अच्छा जीवन जीने का संकल्प लेकर भागी थी,  पर उसकी तो दुनिया ही उजड गई । तब जाकर उसे अपने भोले पति व घर की याद आई  पति की सामाजिक प्रतिष्ठा के साथ -साथ  यह महिला अपनी भी सामाजिक प्रतिष्ठा को तार -तार कर चुकी थी ।  ये महिला जब अपने पति को फौन करती है को पति अपने  बच्चों के खातिर उसे अपने  घर तो ले आया पर ग्रामीणों ने उस महिला से सामाजिक संम्बन्ध तोड़ लिये ।

एक  भावनात्मक  गलती फौन  फैन्ड की लुभावनी फसक जब हकीकत बनती है तो फिर  महिलायें  अपने को ठगा महसूस करतीं हैं । ऐसे में  यदि  उसका पति उसे फिर से स्वीकार कर लें तो इसे  उसकी महानता ही कहना चाहिये कि वह अपनी व पत्नी की गलती को माँफ कर रहा है ।

समाज में जब एक पुरुष किसी महिला को भगा रहा होता है तो उसे अय्यासी करने  का एक और जरिया मिल जाता है। किन्तु   यदि एक महिला घर से भाग जाती है  तो उसके भविष्य की कोई गारन्टी नही है ।

घटना उन दिनों की है जब अल्मोड़ा मे नन्दा देवी मेला चल रहा था ।  हम कुछ पत्रकार मित्र थाने में यो ही  बैठे थे । मेलें मे फड़ों का ठेकेदार अपनी  नई बीबी के साथ थाने में मौजूद था। उसी समय 20  व 22 साल की  की दो बिटियाओं को लेकर एक और महिला  थाने पहुंचीथी  और  रोते हुवें कोतवाली में  शिकायत करते हुई बोली ये  मेरा पति है इसकी मेरे से दो लड़किया है ।वे लड़कियां भी वही मौजूद थी ।महिला रो रही थी कि उसका पति उसे  छोडकर इस दुसरी महिला के साथ चला गया था। वह बोल रही थी कि उसका पति  खर्चा नही दे रहा  बच्चियां  कालेज में पड़ रही है  । तब वह ठेकेदार कोतवाली में बोला, सर मै पूरा खर्चा दे रहा हूँ पर मै अपनी पहली पत्नी के साथ नही रहता मैने इससे  दूसरी विवाह कर लिया है मै इसे व अपनी बेटियों को खर्चा दे रहा हूं  ।उसी समय उसके साथ थाने मे पहुंची नई वाली  दूसरी पत्नी बोली कि यदि तू इसे संभालकर रखती  तो यह मेरे पास क्यों आता , मै इसे  पकड कर तो अपने पास नही लाई । दोनों बेटियां माता  पिता  की हरकतों से परेशान  थी  चूंकि  ये  परिवार  लखनऊ का  रहने  वाला था । इनका मुकदमा भी लखनऊ में ही  चल रहा है ।पर सब भागी हुई  महिलाओं की किस्मत इस नई महिला की तरह अच्छी व पुरानी महिला की तरह बूरी  नही होती बहुत सी महिलायें घर से भागकर चौराहे में आ जाती है । या फिर पहली ब्याहिता को चौराहे पर खड़ी कर देती है ।

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