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बिहार में शराबबन्दी लागू है , वहां आम लोगों को तस्करी चोरी की ही शराब उपलब्ध है भारत मे इस समय दो राज्य है जहां सरकारी स्तर पर पूर्ण शराबबन्दी है पर सामाजिक स्तर पर तल्करों के माध्यम से शराब पहुंचाई जाती है और लोगों को उपलब्ध भी हो जाती है उत्तर -प्रदेश के समय उत्तराखण्ड़ के आठ पर्वतीय जनपदों मे शराब बन्दी लागू थी किन्तु उसके बाद भी कुमाँऊ मण्ड़ल विकास निगम की दुकाने मौजूद थी ।शराब बन्दी के दौर में भी सेना के जवानों को शराब का कोटा मिलता था वह अपने कोटे की शराब बेच दिया करते थे । इस प्रकार शराब पीना उस दौर मे एक स्टेटस सिम्बल बन गया । जिन्हें शराब उपलब्ध नही थी वह आयुर्वेद की दवा अशोकारिष्ट व मृतसंजीवनी सूरा उपयोग मे लाते रहे , वह एक ऐसा दौर था जब कुछ लोग अपने घरों मे भी शराब बनाने लगे , आदिवासी व जनजातीय समाज में तो यह सामान्य रूप सें प्रचलन मे है और वे घर -घर मे इसका उपयोग करते है । हमने देखा कि उस दौर का शराबी पूरे गांव व नगर में शराब पीकर हल्ला मचाते हुवे आता था । विहार में भी कमोवेश ऐसी ही हालत है शराब बन्दी के दौर मे कुछ लोंगों में शपाब की तलब इनयतनी बढ गई कि उन्होंनें गांव मे ही बनी नकली शराब पी ली , जिससें 21लोगो की मौत हो गई अब यह मुद्दा बिहार के राजनैतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है ।

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