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केरल के वाड़नाड से सांसद राहुल गांधी की लोक सभा की सदस्यता इस लिये छिन ली गई क्योकि उन्होंने मोदी उपनाम की मानहानि की। राहुल गांधी पर यह आरोप सिद्ध हुवा कि उन्होनें 2019 में कर्नाटक की एक चुनावी सभा में कहा कि देश में चोरी करने के आरोपी सब मोदी ही क्यों है , इस पर गुजरात के एक एम एल ए ने कोर्ट मे मानहानि का दावा किया जिसमें राहुल गांधी दोषी पाये गये ।

इस फैसले का सामाज व राजनीति पर दूरगामी प्रभाव पड़ना तय है , अदालतों के फैसले पर सवाल नही उठाया जा सकता , इन फैसलों से लोगों में यह समझदारी बन रही है कि सामुहिक सभाओं में किसी की प्रतिष्ठा धुमिल नही की जा सकती ,चाहे वह चोरी के आरोपी ही क्यों ना हों, कम से कम किसी समुदाय की जाति को इससे नही जोड़ा जा सकता ,भलेहि अपराधी नाम के साथ जाति क्यों ना लगाते हो , ।

इन दिनों सोसियल मीड़िया में चलाई जा रही हर तीसरी राजनैतिक वीडियों किसी ना किसी की मानहानि कर ही रही है। क्योकि सभी नेता अपने नाम के आगे जाति लगाते है , उनका गलत कृत्य उनकी जाति की मानहानि कर देता है ।

देश में ब्राह्मणों पर सीधे तौर पर यह आरोप लगाया जाता है कि इन्होंने पांच हजार साल से दलितो का शोषण किया है ,जबकि यह प्रकृतिक न्याय के बिरुद्ध है ,।हर ब्राह्मण ऐसा नही कर सकता फिर भी आरोपी सभी बताये जाते है। यह समझते हुवे भी कि सत्तर सालों से देश मे संविधान का राज चल रहा है ,। उससे पहले अंग्रेजों का तथा उससे भी पहले मुगलों का मुगलों से पहले राजपूत राजाओं का उनसे पहले बौद्धों का राज्य इतिहास से सिद्ध है । इसके बाद भी वे लोग जो धर्म बदल कर बौद्ध हो चुके है , सनातन धर्म पर सवाल उठा रहे है। जबकि मौलिक रूप से उन्हें इस पर सवाल उठाने का हक नही है ।क्योंकि वे जिस पुस्तकों व धर्म को छोड चुके है उन पर टिप्पड़ियां उन्हें मानने वालो की मानहानि ही है ।वे सार्वजनिक रूप से उस मनुस्मृति को जला रहे है , जिससे देश व उनका कोई वास्ता ही नही है ।क्योकि देश संविधान प्रदत्त कानूनों से चल रहा है अब तो धर्म बदल चुके लोग , मनुस्मृति ही नही जला रहे है अपितु रामचरित मानस भी जला रहे है ।

इस फैसले का सामाजिक पहलू यह भी है कि राजनैतिक दलों की यह विशेषता है कि वह टी वी बहसों मे खुलेआम एक दूसरे दलों के नेताओं की मानहानि करते रहते है ,। अदालत के बाहर मीड़िया भी डिवेड़ के नाम पर शो प्रदर्शित करते रहती है , जिसमें सार्वजनिक रूप से एक दूसरे की प्रतिष्ठा धुमिल होती रहती है ,। जब सत्ता दल से सवाल पूछे जाते है तो सरकारों की मानहानि भी होते रहती है , ।संविधान में इसे अभिब्यक्ति आजादी कहा जाता है । जब सरकार चलाने वाले दल की मानहानि होती है तभी दूसरे दल सत्ता मे आते है । राहुल गांधी पर आया ताजा फैसला यह सीख देता है कि किसी एक ब्यक्ति अथवा समुह पर बिना सबूतों के आरोप ना लगाये जाय , । यद्यपि यह देखना लाजिमी है कि उपरी अदालतें इस फैसले पर क्या रूख अपनाती है , पर यह तय है कि अब लोग बोलने से पहले यह जांच लेंगे कि बोलना प्रासांगिक है या नही ।

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