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अल्मोड़ा उत्तराखण्ड़ के पहाड़ो में बहुतायत संख्या मे बन रही मजारों की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है , भूत प्रेत अन्ध विस्वास , जिन्न की कहानिया तो घर – घर मे प्रचलित है , सामान्यत: पहाडों की महिलाये इन समस्याओं की ज्यादा शिकार है ,हिन्दु धर्म मे जब डंगरिये भूत प्रेत आदि ब्याधियों का ईलाज नही कर पाते तो ये महिलाये अपनी मानसिक शान्ति के लिये पीर बाबाओ के पास अपनी उलझन लेकर जाती है। इनमे से अधिकांश लोगो को अपनी धार्मिक परम्पराओं का ज्ञान व अध्ययन नही है ना ही किसी धार्मिक बिषयों के जानकार ब्यक्तियों से इनका संवाद हो पाता है ।

ऐसी मान्यता प्रचलित है कि मुसलमान जिन्न यदि किसी किशोरी व बच्ची या महिला के पीछे पड़ जाय तो उसे निकालना कठिन है ये पुरुषो को शिकार नही बनाते ,वह गंगा जल नही जमजम का पानी पीकर ही मानेगा , अल्मोड़ा जैसे नगर मे जिन्न से मुक्ति के लिये कई दरबार लगते है ।

ये दरबार पीड़ित को मजारो मे भेजते है या मजार बनाने के लिये प्रेरित किये जाते है हिन्दु समाज बहुसंख्यक होकर भी हजारों सालो से डर के साये मे जी रहा है । इनमे भी अधिकांश लोग गरीब व मध्यम परिवारों से होते है

नशे का आदि एक युवक की मां अपने बच्चे की नशा छुडाने के लिये त्रान्त्रिकों के पास जा -जा कर अब मत्था टेकने लगी है । वह जमजम का पानी भी पिला चुकी है , बच्चा कुछ दिन छोड भी देता है पर फिर दुबारा शुरु कर देता है , हिन्दुओ मे कोई दरबार नही जहा ये अपनी ब्याधि का उपचाल कर सकती है ।हर बिमारी का निदान प्रकृति मे संम्भव है , यदि नशेड़ी व मानसिक रोगी यह मान ले कि उसे ठीक होना है तो वह ठीक होकर ही रहेगी मानसिक परेशानिया भी समय के अनुसार स्वयं ही शान्त हो जाती है ।

इन दिनो धामी सरकार ने पहाड़ो मे बहुतायत रूप से स्थापित की गई जिन्न शान्त करने वाली धार्मिक स्थलों को चिन्हित करने का कार्य आरम्भ किया है , जैसे जिन स्थानो मे मसाण के मनिदिर बन जीने के बाद हर नवविवाहिता के पहाड़ो मे मसाण देवता परेशान करते है वैसे ही मजारों मे सोये हुवे पीर बाबा भी , , मजारे इस्लामिक प्रचार की महत्वपूर्ण सीढी है तो मसाण देवता , नव विवाहिताओ का सहारा , । जिन्न भगाने के लिये मजार व मसाण की ब्याधि छुडवाने वाले ये मसाण देवता के अधिकांश धार्मिक स्थल बन भूमि मे है ।

वन भूमि पर धार्मिक गतिविधियों के बहाने अतिक्रमण के विरुद्ध प्रदेशभर में मुहिम चल रही है। इसी कड़ी में अल्मोड़ा जिले में भी अवैध रूप से बने धर्मस्थलों का सर्वे तेज कर दिया गया है।यहां रानीखेत रेंज के गनियाद्योली में जंगलात की जमीन पर एक मजार चिह्नित की गई है। विभाग ने नोटिस जारी कर दिया है।इधर रक्षा मंत्रालय के अधीन रक्षा संपदा विभाग (डीओ), छावनी परिषद, खुफिया व पुलिस के संयुक्त सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। यहां रक्षा संपदा विभाग की भूमि पर विभिन्न स्थानों पर 13 मजारों का निर्माण किया गया है। इनमें एक बाजार क्षेत्र की शामिल है।
दरअसल, राज्य सरकार ने भारतीय वन अधिनियम के तहत वन भूमि से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए हैं। विभाग के अनुसार अब तक 429 अवैध कब्जे हटाए जा चुके हैं। इनमें 300 से ज्यादा मजार व 41 मंदिर भी शामिल हैं। इधर जिलेभर में चल रहे सर्वे के तहत गनियाद्योली रेंज कार्यालय के ठीक पीछे बनी एक मजार का रखरखाव करने वालों को नोटिस भेज दिया गया है। उधर छावनी क्षेत्र में रक्षा संपदा विभाग की जमीन पर भी 13 मजार चिह्नित की गई हैं।’संयुक्त सर्वे कर लिया गया है। बाजार क्षेत्र समेत कुल 13 मजार रक्षा संपदा की भूमि पर बनी हैं। रिपोर्ट पर अध्ययन किया जा रहा है। नियमानुसार अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।नोडल अधिकारी के निर्देशन में युद्धस्तर पर अभियान चला रहे हैं। वन भूमि पर मजार बनी हो या मंदिर, संबंधित अभिलेख व जरूरी कागजात नहीं होंगे तो अतिक्रमण माने जाएंगे। उसी आधार पर कार्रवाई की जाएगी। सभी रेंज से रिपोर्ट मांगी गई है गनियाद्योली रेंज कार्यालय के पीछे मजार बनी है। रखरखाव करने वालों को नोटिस भेज मजार से संबंधित कागजात दिखाने के निर्देश दिए हैं। विभाग की नजर में यह फिलहाल अतिक्रमण है।’गनियाद्योली रेंज कार्यालय के पीछे मजार बनी है। रखरखाव करने वालों को नोटिस भेज मजार से संबंधित कागजात दिखाने के निर्देश दिए हैं। विभाग की नजर में यह फिलहाल अतिक्रमण है।
मोहान रेंज के वनक्षेत्राधिकारी गंगाशरण ने कहा कि गहन सर्वे किया जा रहा। अब तक कोई धार्मिक संरचना या धर्मस्थल नहीं मिला है। उधर शीतलाखेत के रेंज अधिकारी मोहन राम ने वन भूमि पर किसी तरह के अवैध कब्जे से इनकार किया है। वन क्षेत्राधिकारी द्वाराहाट मदन लाल ने भी कहा कि उनकी रेंज में कोई अतिक्रमण नहीं है।

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