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आजकल विभिन्न कथावाचकोॆ यह कहना कि महिलाये वेद मन्त्र अथवा गायत्री मन्त्र नही पढ सकती एक मिथक सावित हो रहा है , ।सनातन धर्म मे अनेकों महिलाये वेद मन्त्र दृष्ठा है जिसमे गार्गी मैत्रेई ही नही आदि गुरु शंकराचार्य व सदन मिश्र के बीच शास्त्रार्थ की निर्णायक जज एक महिला ही थी , अब देश मे महिलाये उपनयन संस्कार भी करा रही है और जनेऊ भी पहन रही है महिलाये यज्ञोपवीत पहन कर यज्ञ कर भी रही है और करा भी रही है ।हरियाणा राज्य के कैथल जिले के क्योड़क गांव की सब मातायें सीता,गार्गी के पथ की अनुगामी है ,इन सब ने यज्ञोपवीत (जनेऊ) भी धारण कर रखा है,और इस समय ये हवन करती है। ये सब किसी बाबा या साध्वी की चेली नही है , यहां के बाबा तो साफ-साफ कहते महिलाओं को जनेऊ पहने और गायत्री_मंत्र बोलने का अधिकार नहीं है ।

किन्तु ये महिलाएं केवल गायत्रीमंत्र ही नहीं वेद के अन्य मंत्रों को भी पढ़ती है। यह काम राष्ट्रीय आर्य निर्मात्री सभा के आचार्यों व आचार्याओं के अथक प्रयास से संम्भव हो रहा है सभा लघु गुरूकुल चला रही है इसके बहुत फायदे है ।यहां कुछ फायदे लिखे जा रहे है:-
१.पाखण्ड-अंधविश्वास से कोसों दूर रहेगी।
२.चरित्रवान और विदुषी बनेगी।
३.ईश्वर की सच्ची उपासक बनेगी।
४.अच्छी संतान का निर्माण कर पाएगी।
५.घर में लड़ाई झगड़ा नहीं होगा।
६.वृद्धों की सेवा करेगी।

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