174 total views

अल्मो़ड़ा महात्मा गांधी व लालबहादुर शास्त्री के जन्म के पूर्व दिवस पर आज एस एस जे परिसर के शिक्षा संकाय में कुलपति ड़ा एन एस भण्डारी के मार्ग निर्देशन में महात्मां गांधी जी एवं लाल बहादुर शास्त्री जी के शैक्षिक विचारो की उपादेयता विषय पर विभागाध्यक्ष भीमा मनराल की अध्यक्षता मे संगोष्ठी हुई । कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में दयाकृष्ण काण्डपाल ने अपना प्रमुख बक्तब्य दिया । कार्यक्रम का संचालन अंकिता कश्यप , डा.डी .एस चमय्याल ने संयुक्त रूप से किया ,कार्यक्रम का शुभारम्भ महात्मां गाँधी व लालबहादुर शास्त्री को श्रद्धान्जली के साथ दीप प्रज्वलित कर किया गया ।


इस अवसर पर महात्मा गाँधी व शास्त्री के शिक्षाप्रद विचारों पर प्रकाश डालते हुवे मुख्य वक्ता पत्रकार दयाकृष्ण काण्डपाल ने कहा कि , महात्मां गाँधी ने ना केवल आजादी की लड़ाई को आगे बढाया अपितु कई शैक्षणिक प्रयोग भी किये , गाँधी ने जब विदेशी कपड़ो की होली जलाई तो स्वदेशी हतकरघा व चरखा को बढावा दिया । , गांधी जी देश मे शिक्षा व प्रशिक्षण का एक ऐसा माडल बनाना चाहते थे, जो ग्राम पंचायतों को स्वालम्बी व आत्म निर्भर बना सके सरकार का कोआपरेटिव आन्दोलन इसी सोच का विस्तार है । गाँधी जी ने स्पष्ठ कर दिया कि भारत ग्राम सभाओं का एक गण राज्य है वह ग्राम सभाओं को प्रवन्धन व ब्यवस्था के अधिकार देना चाहते थे । उनकी इस भावना को संविधान मे स्थापित करने के लिये राजीव गांधी की सरकार ने संविधान में 73 व 74 वां संसोधन किया । किन्तु देश के केरल राज्य को छोडकर संविधान की ग्राम गणराज्य की परिकल्पना व आत्म निर्भर भारत का सपना साकार नही हो सका । वे चिकित्सा के क्षेत्र मे भी प्राकृतिक चिकित्सा को बढावा देने के पक्षधर थे ।
लाल बहादुर शास्त्री के शैक्षणिक बिचाारों की उपादेयता पर दयाकृष्ण काण्डपाल ने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री ने कृर्षि विज्ञान को बढावा दिया , उन्होंने जय जवान जय किसान का नारा ही नही दिया बल्कि देश को कृर्षि के क्षेत्र में आगे बढाने के लिये कृर्षि विश्वविद्यालय स्थापित किये जिससे देश खाद्यान्न के क्षेत्र में आगे ही नही बढा अपितु आत्म निर्भर भी बन गया । उन्होने कहा कि गांधी व शास्त्री किताबी शिक्षा पर नही ब्यावहारिक शिक्षा पर जोर देते रहे। अत: विश्विद्यालय के छात्रों को भी ब्यावहारिक पक्ष पर जोर देना चाहिये शिक्षा संकाय भावी शिक्षकों को तैयार करने का एक उपक्रम है । अत: शिक्षा के गूढ रहस्यों पर भी ध्यान देना चाहिये कई बार अर्थ के अनर्थ भ्रमित कर देते है ।
कार्यक्रम के अन्त मे बिभागाध्यक्ष भीमा मनराल मे कहा कि गाँधी व शास्त्री की सादगी व साहस का विश्व समुदाय भी कायल है ।ये दोनो ही असाधारण ब्यक्तिक्व के धनी रहे छात्रों को इनके बिचारो को ब्यावहारिक रूप से अपनाना चाहिये । कार्यक्रम में प्रोफ़ेसर भीमा मनराल- संकायाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष मिस अंकिता कश्यप- असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. देवेंद्र सिंह चम्याल- असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नीलम कुमारी- असिस्टेंट प्रोफेसर
डॉ. संदीप पांडे- असिस्टेंट प्रोफेसर
डॉ.रिजवाना सिद्दीक़ी- असिस्टेंट प्रोफेसर
मनोज कुमार आर्य- असिस्टेंट प्रोफेसर
मिस सरोज जोशी- असिस्टेंट प्रोफेसर
डॉ.ममता कांडपाल- असिस्टेंट प्रोफेसर
मंजरी तिवारी- पीएचडी स्कॉलर
मो० नूर बानो- पीएचडी स्कॉलर आदि शामिल रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published.