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ईतिहास बडी तेजी से करवट बदल रहा है , एक जमाना था जब सब ब्राह्मण बनना चाहते है । अब पैरामीटर बदल रहे है , ब्राह्मण बनना आसान नही है । जो ब्राह्मण घर मे पैदा हुवा जब वह भी अपने आचरण में फिसल रहा है तो उन लोगों के लिये यह कठिन ही बै जिन्हें जन्मजात ब्राह्मण बनने की सुविधा नही है , जो अपने कर्मों से ब्राह्मण बनना चाहते है सोचिये उन्हें कितनी मेहनत करनी पड़ेगी ।

स पा नेता यू पी के पूर्व सी एम अखिलेश यादव कह रहे है कि वह शुद्र है । ऐसा कह कर वह ब स पा के बोट बैंक पर सेंधमारी करना चाहते है । अखिलेश अब समझ रहे है कि शूद्र होने के भारतीय संविधान मे बहुत बड़े लाभ है ,लोकसभा व विधानसभाओं मे लगभग 21% पद (शूद्र) एस सी वर्ण के लिये संवैधानिक तौर पर रिजर्व है । यादव समाज इस मलाई को देखकर ललचा रहा है, पर काशीराम की राजनैतिक विरासत सभाल रही मायावती की समझ में यह बात आ रही है । भारत का दलित समाज इस बात को कितना समझ रहा है यह लोकसभा चुनाव में स्पष्ठ होगा यह देखना होगा कि क्या एस सी समाज अखिलेश यादव को एस सी मानने को तैयार हो जाता है । यदि ऐसा हुवा तो यह बहुत बड़े राजनैतिक बदलाव का संकेत होगा । इन दिनो ओ बी सी समाज अपने को एस टी बनाने के लिये बड़ी मेहनत कर रहा है ओ वी सी भी काशीराम की राह पर चल पड़ा है , काशीराम का नारा था तिलक तराजू और तलवार इनको मारों जूते चार अब उसी तर्ज पर ओ बी सी समाज भी ब्राह्मणो बनियो को गालियां दे रहा है ।चूंकि अधिकांश ओ बी सी वर्ग अपने को क्षत्रिय मानता है । इसी लिये सारा हमला तिलक व तराजू पर ही है । तलवार पर इन दिनों बात नही हो रही है । इसी श्रंखला में इन दिनों मनु के बाद अब तुलसीदास भी इनके निशाने पर है ।

देश का हर वह ब्यक्ति जिनके कारण भारत जाना जाता है उनके मुकाबले मे बाबा साहिब अम्बेदकर को खड़ा किया जा रहा है उन्हें संविधान निर्माता की पदबी से बिभूषित कर संबिधान सभा को औचित्य हीन ठहराया जा रहा है ।ओ बी सी, एस टी नेताओं व समुदाय के लाखों बीडियो सोसियल मीड़िया मे तैर रहे है माहौल खराब कर रहे इन लोगों पर सरकार का भी कोई अंकुश नही है ,

ईतिहास मे उस भा ज पा सरकार के राज में रामचरित मानस जलाई गई जो भा ज पा राम के नाम पर ही सत्ता में है । यदि मनु स्मृति दहन की तरह ही मानस दहन भी एक परिपाटी बन गई तो कोई आश्चर्य नही होना चाहिये , हांलाकि मनुस्मृति का प्रचार भी दहन करने वाले ही ज्यादा कर रहे है । पर दहन से लोग भ्रमित भी बहुत है ।

यह बहुत ही आश्चर्य की बात है कि भारतीय संविधान में जाति देखकर सुविधा देने का प्राविधान है । भारतीय संविधान जन्म के आधार पर ब्राह्मण , बनिया , व राजपूतों के लिये किसी भी प्रकार की सुविधा नही देता , संविधान की मान्यता है कि ये तीनों वर्ग किसी संवैधानिक संरक्षण के मोहताज नही है ना ही इस वर्ग ने कभी सत्ता मे संवैधानिक संरक्षण मांगा । फिर भी यह वर्ग ओ बी सी यादबो प्रजापतियो, कुर्मियों व जाटों , गुर्जरों के निशाने पर है । भारत सरकार भी इस पर खामोश है । इस समय देश के सबसे बड़े दो प्रमुख पदों पर ओ बी सी समुदाय से आने वाले नरेन्द्र मोदी जी प्रधानमन्त्री है तो आदिवासी समुदाय से आने वाली द्रोपदी मुर्मु जी राष्ट्रपति है । पर यादवों प्रजापतियों को बी जे पी मे शामिस ओ बी सी व आदिवासी पसन्द नही है उन्हें तो स पा मे शामिल ओ बी सी चाहिये । स पा मे शामिल ओ बी सी बी जे पी मे शामिल ओ बी सी से संन्तुष्ठ नही है अब ये जय भीम के नारे के साथ एस सी समुदाय का हिस्सा बनना चाहते है। संविधान मे एस सी ओ बी सी आयोग यह करने की शक्ति रखते है अभी तक किसी को भी ब्राह्मण बनाने की शक्ति संनिधान मे नही है । मनु स्मृति किसी को भी कर्म के आधार पर ब्राह्मण बना सकती है , पर संविधान मे उच्च वर्ण को निम्न वर्ण में शामिल किया जा सकता है ।पर किसी ओ बी सी , एस को भी ब्राह्मण नही बनाया जा सकता । हालांकि एस टी समुदाय मे भौगोलिक आधार पर कई ब्राह्मण जातिया एस टी में शामिल है। एस टी समाज की ओर से ब्राह्मणो पर हमले भी नही होते एस टी समाज का राजनैतिक दबदबा भी कम ही है ।

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